बजटेतर उधारी

बजटेतर उधारी 

वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट – 2021 पेश किया जाएगा, जिसमें राजकोषीय घाटे को कम करने से जुड़े विभिन्न उपायों को प्रस्तुत किये जाने की संभावना है। राजकोषीय घाटे के संदर्भ में ही ‘बजटेतर उधारी’ भी चर्चा में है।

प्रमुख बिंदु:

  • विगत वर्ष भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2016-17 के आँकड़ों के आधार पर बजट से इतर वित्तपोषण को लेकर सरकार की आलोचना की थी।
  • उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की उधारी की वजह से भविष्य की देनदारियों पर नकारात्मक असर पड़ता है तथा सब्सिडी की लागत में बढ़ोतरी होती है।
  • वहीं वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में सब्सिडी की लागत का जीडीपी के 1.4 % रहने का अनुमान लगाया गया था। वर्ष 2022-23 में सब्सिडी घटकर जीडीपी का 0.9 % रहने की संभावना है।
  • जीडीपी के प्रतिशत के रूप में वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान में सब्सिडी की लागत 1% और वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में इसके 1% रहने की उम्मीद है।
  • बजटेतर खर्चों से विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है तथा सभी क्षेत्रों में उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिये बड़े स्तर पर बदलावों की ज़रूरत है।

बजटेतर उधारी:

  • ‘बजट से इतर उधारी’ या बजटेतर उधारी’ (Off-budget borrowings) वह ऋण होता है, जो सीधे केंद्र द्वारा नहीं लिया जाता है, बल्कि किसी अन्य सार्वजनिक संस्थान द्वारा केंद्र सरकार के निर्देशों पर लिया जाता है।
  • यह केंद्र सरकार का अपने व्यय को वित्तपोषित करने का एक तरीका है। इसे राजकोषीय घाटे की गणना में न शामिल किया जाए, इसलिये इसे बजट व्यय में शामिल नहीं किया जाता।ऐसे ऋण का उपयोग सरकार की व्यय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये किया जाता है।
  • वर्ष 2019 की कैग रिपोर्ट अनुसार, वित्त पोषण का यह प्रकार संसद के नियंत्रण के बाहर धन के प्रमुख स्रोतों का माध्यम है। जो निम्नलिखित हैं :
  • चूंकि इस ऋण की देयता औपचारिक रूप से केंद्र सरकार की नहीं होती है। इस वजह से इसे राष्ट्रीय राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं किया जाता है। यह स्वीकार्य सीमा के भीतर देश के राजकोषीय घाटे को बनाए रखने में मदद करता है।
  • बांड जारी करना: सरकार किसी कार्यान्वयन एजेंसी को ऋण के माध्यम से या बांड जारी करके बाजार से आवश्यक धन जुटाने का निर्देश दे सकती है।
  • उधार लेना: इसके अंतर्गत सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से लिये गए ऋण का उपयोग सरकार द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिये, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को पीएम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिये सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर के लिये भुगतान करने को कहा गया था।
  • बचत का उपयोग: उदाहरण के लिये, खाद्य सब्सिडी केंद्र के प्रमुख खर्चों में से एक है। 2020-21 के लिये बजट प्रस्तुति में, सरकार ने खाद्य सब्सिडी बिल के लिये बजट की आधी राशि का भुगतान भारतीय खाद्य निगम को किया। राष्ट्रीय लघु बचत कोष से ऋण के माध्यम से कमी को पूरा किया गया।
  • बैंक स्रोत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का उपयोग ऑफ-बजट व्ययों को निधि वित्तपोषित करने के लिये किया जाता है। जैसे, सार्वजनिक बैंकों के ऋणों का उपयोग उर्वरक सब्सिडी जारी करने में कमी के लिये किया गया था।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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