वाहनों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगाने के लिए परामर्शिका जारी
हाल ही में सरकार ने वाहन निर्माताओं को वाहनों में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन लगाने के लिए परामर्शिका जारी की है।
कार निर्माताओं को फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगाने के लिए छह महीने का समय दिया गया है, ताकि भविष्य में कारें भी एथेनॉल से चल सकें।
- FFV, वाहनों का वह रूपांतरित संस्करण है जो गैसोलिन (पेट्रोल/डीजल) और एथेनॉल मिश्रण के विभिन्न स्तर वाले मिश्रित पेट्रोल से संचालित होता है।
- वर्तमान में ब्राजील में इनका सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है। इससे लोगों को इंधन (गैसोलीन और इथेनॉल) को प्रतिस्थापित करने का विकल्प प्राप्त हो गया है।
- फ्लेक्स इंधन या फ्लेक्सीबल (लचीला) ईंधन, गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से बना एक वैकल्पिक ईंधन है।
FFV के लाभ
- यह जैव इंधन का उपयोग करने का विकल्प प्रदान करता है,जो पेट्रोल से बेहतर है (आयात विकल्प, लागत प्रभावी, प्रदूषण मुक्त और स्थानीय है)।
- पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल-मिश्रण प्राप्त करनेकी लक्षित तिथि पांच वर्ष बढ़ाकर वर्ष 2025 कर दी गई है।
- अधिशेष खाद्यान्न (इथेनॉल बनाने में उपयोग किया जा सकता है) की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
- तेल आयात पर निर्भरता को कम करने में सहायक।
चुनौतियां:
- उत्पादन लाइनों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में ऑटो कंपनियों से अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है।
- इथेनॉल इंजन में जंग का कारण बन सकता है और उसे क्षति भी पहुंचा सकता है।
- इथेनॉल गैसोलीन की तरह किफायती नहीं है, क्योंकि यह समान स्तर की ईंधन दक्षता प्रदान नहीं करता है।
स्रोत – द हिन्दू