केरल में अभी तक फ्लड प्लेन ज़ोनिंग (FPZ) पर कानून नहीं
हाल ही में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने रेखांकित किया है कि केरल में अभी तक फ्लड प्लेन ज़ोनिंग (FPZ) पर कानून नहीं बनाया गया है।
- वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ की पृष्ठभूमि पर कैग द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। रिपोर्ट में इस तथ्य को रेखांकित किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा फ्लड प्लेन ज़ोनिंग के लिए एक आदर्श विधेयक (Model Bill for Flood Plain Zoning: MBFPZ) परिचालित करने के 45 वर्ष बाद भी राज्य ने FPZ पर कानून का निर्माण नहीं किया है।
- रिपोर्ट में योजना, क्षमता निर्माण, बाढ़ पूर्वानुमान, बांध प्रबंधन आदि में मौजूद गंभीर खामियों पर प्रकाश डाला गया है।
- FPZ का उद्देश्य बाढ़ से प्रभावित जोन या क्षेत्रों का सीमांकन करना है। साथ ही, बाढ़ से होने वाले नुकसान कोकम करने के लिए इन क्षेत्रों में संभावित विकास के प्रकारों को उल्लेखित भी करना है।
- एक नदी में जल के प्रवाह को विनियमित करने के लिए बाढ़कृत मैदान महत्वपूर्ण हैं।
- हालांकि, हाल के वर्षों में, बादकृत मैदान शहरी विकास के ‘स्थल’ बन गए हैं। इसके परिणामस्वरूप अभेद्य सतहोंमें वृद्धि, बाढ़कृत मैदान और उसके आस-पास विकास कार्य, तटबंधों का निर्माण आदि जैसे परिवर्तन हुए हैं।
भारत में FPZ नीतियां
- FPZ राज्य सरकार के दायरे में आती है, क्योंकि यह नदी तट की भूमि से संबंधित है और भूमि राज्य-सूची का एक विषय है।
- MBFPZ बाढ़कृत मैदान के सर्वेक्षण, बाढ़कृत मैदानों की सीमा अधिसूचित करना, बाढ़कृत मैदानों के उपयोग पर निषेधया प्रतिबंध आदि के संबंध में प्रावधान करता है।
- बाढ़ के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देशों में बाढ़कृत मैदानों का विनियमन और FPZ को लागू करना शामिल है।
स्रोत – द हिन्दू