फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा ‘रवांडा नरसंहार’ पर माफी
हाल ही में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने एक वक्तव्य में कहा है कि वह ‘रवांडा में हुए नरसंहार’ में फ़्रांस की भूमिका को स्वीकार करते हैं और रवांडा के लोगों से क्षमा की आशा करते हैं।
फ़्रांस के इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा यह वक्तव्य, रवांडा के आरोप लगाने के कई वर्षो बाद आया है।
विदित हो कि रवांडा द्वारा फ्रांस पर वर्ष 1994 में देश में हुई नृशंसता में सम्मिलित होने का आरोप लगाया गया था।
‘रवांडा’ की भौगोलिक अवस्थिति
- मध्य अफ्रीका में अवस्थिति रवांडा’ (Rwanda) एक स्थल-रुद्ध देश है। स्थल-रुद्ध देश से तात्पर्य ऐसे देश से है जो चारों से स्थल भाग से जुड़ा होता है। इसकी राजधानी ‘किगाली’ है।
- यहाँ पर जनसँख्या में हुतु समुदाय (Hutus) की जनसँख्या ‘बहुसंख्यक’ तथा तुत्सी समुदाय (Tutsi) की जनसँख्या ‘अल्पसंख्यक’वर्ग में आती है।
‘रवांडा नरसंहार’ क्या है?
- वर्ष 1994 में रवांडा में एक भयंकर नरसंहार हुआ था, जिसको अभी तक के सबसे भयानक नरसंहार में से एक माना जाता है। इस नरसंहार में पूरे देश में करीब 10 लाख लोगों की मौत हुई। इस देश के ‘तुत्सी’ और ‘हुतु’ समुदाय के लोगों के मध्य हुआ यह एक जातीय संघर्ष था।
- ‘हुतु’ समुदाय की सरकार के दौरान छह अप्रैल 1994 की रात तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा को ले जा रहे विमान को किगाली में गिराया गया था। इसमें सवार सभी यात्री मारे गए।
- इस हत्या को हुतु समुदाय ने तुत्सी समुदाय के लोगों द्वारा किया गया कार्य समझा और हत्या के दूसरे दिन ही पूरे देश में नरसंहार शुरू हो गया।
- ‘हुतु’ सरकार के सैनिक भी इसमें शामिल हो गए थे और इनको ‘तुत्सी’ समुदाय के लोगों को मारने का आदेश दे दिया गया।
- इस नरसंहार में कुछ ही दिनों में 8 लाख से भी अधिक तुत्सी समुदाय के लोगों को मार दिया गया था और बहुत से लोग देश छोड़कर भाग गए थे।
- यह नरसंहार लगभग 100 दिन तक चला और इसमें करीब 10 लाख लोग मारे गये । इसमें सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या तुत्सी समुदाय के लोगों की थी।
- पहले भी इन दोनों समुदायों के बीच वर्चस्व को लेकर हिंसक झड़प होती रही थीं, जो इस भयानक नरसंहार के रूप में सामने आई।
स्रोत – द हिन्दू