फ्रांस के कोर्ट द्वारा केयर्न कोपेरिस स्थित भारत सरकार की संपत्तियां जब्त करने की इजाजत
भारत के साथ टैक्स विवाद में फ्रांस के कोर्ट ने ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) के पक्ष में फैसला दिया है।
एक फ्रांसीसी न्यायाधिकरण ने विवादित कर दावों को लेकर मध्य पेरिस में भारत सरकार के स्वामित्व वाली लगभग 20 संपत्तियों को भी फ्रीज़ करने का आदेश दिया है।
साथ ही मध्यस्थता अदालत (Arbitration court) ने केयर्न को 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने का अधिकार दिया था।
क्या विवाद है?
- केयर्न विवाद 15 वर्ष पूर्व, वर्ष 2006-2007 में आरंभ हुआ था, जब केयर्न यूके ने केयर्न इंडिया होल्डिग्स के शेयरों को अपनी भारतीय समकक्ष केयर्न इंडिया को हस्तांतरित कर दिया था।
- तत्पश्चात, कर अधिकारियों ने निर्णय किया कि चूंकि केयर्न यूके ने पूंजीगत लाभ अर्जित किया था, इसलिए उसे पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करना चाहिए।
- भारत द्वारा भूतलक्षी कर वर्ष 2012 में प्रस्तुत किया गया था। इसके अंतर्गत वर्ष 1962 से एक विदेशी संस्था (जिसकी संपत्ति भारत में स्थित है) से शेयरों के हस्तांतरण के परिणामस्वरूप हुआ कोई भी पूंजीगत लाभ, भारत में कर योग्य होगा।
- केयर्न ने अंतर्राष्ट्रीय पंचनिर्णय के लिए प्रयास आरंभ किए। दिसंबर 2020 में, हेग में स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने निर्णय दिया कि भारत सरकार को केयर्न एनर्जी को 1.2 बिलियन डॉलर का हर्जाना देना चाहिए, क्योंकि कंपनी पर भूतलक्षी कर का मामला अनुचित रीति से लागू किया गया था।
- चूंकि, भारत न्यूयॉर्क कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्ता है, इसलिए यह निर्णय विश्व भर के कई अधिकार-क्षेत्रों में भारतीय संपत्तियों के विरुद्ध लागू किया जा सकता है।
- विदेशी पंचाट निर्णयों की मान्यता और प्रवर्तन पर कन्वेंशन (Convention on the Recognition and Enforcement of Foreign Arbitral Awards), 1958 को न्यूयॉर्क कन्वेंशन भी कहा जाता है। इसमें उपबंध किया गया है कि विदेशी और गैर-घरेलू पंचाट निर्णयों के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
स्रोत – द हिन्दू