फोर्टिफाइड चावल से जुड़े जोखिम
हाल ही में एक रिपोर्ट में फोर्टिफाइड चावल से जुड़े जोखिमों को लेकर सचेत किया गया है ।
यह रिपोर्ट आशा-किसान स्वराज और राइट टू फूड अभियान ने जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार एनीमिया (रक्ताल्पता) को रोकने के लिए झारखंड जैसे राज्यों में आयरन फोर्टिफाइड चावल का वितरण बंद होना चाहिए।
- झारखंड की अधिकांश जनजातीय आबादी सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया और क्षयरोग जैसे रोगों से पीड़ित है।
- थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और मलेरिया से पीड़ित लोगों के शरीर में पहले से ही अतिरिक्त आयरन होता है। वहीं, टीबी के रोगी आयरन को अवशोषित करने में असमर्थ होते हैं।
- इन रोगों के रोगियों द्वारा आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन से उनकी प्रतिरक्षा और अंगों के कार्य करने की क्षमता कम हो सकती है।
- झारखंड सिकल सेल और थैलेसीमिया जैसी बीमारियों का एक स्थानिक (Endemic) क्षेत्र है। यहां 8% -10% आबादी इससे पीड़ित है। यह राष्ट्रीय औसत से दोगुना है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनसार भोजन में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा जानबूझकर बढ़ाने की प्रक्रिया फोर्टिफिकेशन कहलाती है। सूक्ष्म पोषक तत्वों में विटामिन और खनिज (ट्रेस तत्वों सहित) सामग्री शामिल हैं।
- यह स्वास्थ्य को खतरे में डाले बिना खाद्य आपूर्ति की पोषण गुणवत्ता में सुधार लाने और लोक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए किया जाता है।
चावल के फोर्टिफिकेशन के निम्नलिखित लाभ हैं:
- कुपोषित और सुभेद्य आबादी के पोषण को बढावा देता है.
- एनीमिया से निपटने में सहायक होता है,
- कम लागत में अधिक प्रभावशाली है,
- गर्भावस्था में बच्चे के विकास में मददगार सिद्ध होता है।
- भारत में चावल को एक्सट्रूज़न तकनीक (Extrusion technology) का उपयोग करके फोर्टिफाइड किया जाता है।
एक्सट्रूज़न तकनीक
- इस तकनीक में, पिसे हुए चावल को चूर्णित किया जाता है तथा विटामिन और खनिजों वाले प्रीमिक्स के साथ मिलाया जाता है। एक एक्सटूडर मशीन का उपयोग करके इस मिश्रण से फोर्टिफाइड चावल के दाने (Fortified rice kernels: FRK) तैयार किए जाते हैं।
- FRK को पारंपरिक चावल में 150 से 1:200 के अनुपात में मिलाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप फोर्टिफाइड चावल सुगंध, स्वाद और बनावट में पारंपरिक चावल के लगभग समान होते हैं।
स्रोत –द हिन्दू