फॉल्कन हैवी रॉकेट
हाल ही में स्पेसएक्स ने फॉल्कन हैवी रॉकेट को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से भू-समकालिक पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया।
यह विशाल रॉकेट प्रणाली का चौथा प्रक्षेपण है और वर्ष 2019 में हुए इसके अंतिम प्रक्षेपण के बाद से लगभग तीन वर्षों में पहला प्रक्षेपण है।
वर्तमान मिशन:
- यह रॉकेट अमेरिकी अंतरिक्ष बल (USSF)-44 नामक मिशन हेतु अमेरिकी सेना के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
- इस मिशन के तहत दो अंतरिक्षयान पेलोड तैनात किये गए, जिनमें से पहला TETRA 1 माइक्रो सैटेलाइट है, जिसे भू-समकालिक पृथ्वी की कक्षा में और उसके आसपास विभिन्न प्रोटोटाइप मिशनों के लिये बनाया गया है।
- दूसरा पेलोड राष्ट्रीय रक्षा उद्देश्यों हेतु है। स्पेस सिस्टम्स कमांड के इनोवेशन और प्रोटोटाइपिंग के लिये यह उपग्रहों को स्थापित करेगा।
फॉल्कन हैवी रॉकेट:
- स्पेसएक्स द्वारा विकसित फाल्कन हैवी रॉकेट, वर्तमान समय में विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली ऑपरेशनल रॉकेट है। इस रॉकेट की ऊंचाई 70 मीटर, चौड़ाई 2 मीटर और द्रव्यमान 1,420,788 किलोग्राम है।
- कक्षा में लगभग 64 मीट्रिक टन के पेलोड को स्थापित करने की क्षमता के साथ, फाल्कन हैवी अगले निकटतम परिचालन वाहन डेल्टा-IV हैवी के पेलोड के दोगुने से अधिक भार उठा सकता है।
- स्पेसएक्स के अनुसार यह रॉकेट यात्रियों, सामान और ईंधन के साथ पूरी तरह से लोड किए गए 737 जेटलाइनर विमानों के बराबर भार को कक्षा में ले जा सकता है। यह रॉकेट, अपने संचालित लिफ्टऑफ़ के लिए तीन बूस्टर का उपयोग करता है – जिनमे से एक केंद्र में तथा दो अन्य टेकऑफ़ के पहले चरण के लिए उपयोग किए जाते है।
- फाल्कन हैवी, 12 हाइपरसोनिक ग्रिड फिन से लैस है (प्रत्येक बूस्टर पर चार, इंटरस्टेज या नोजकोन के आधार पर स्थित), जो पुन: प्रवेश के दौरान दबाव के केंद्र को स्थानांतरित करके उन्मुख करता है।
- फाल्कन हैवी रॉकेट में 27 मर्लिन इंजन हैं, जो एक साथ लिफ्टऑफ पर पांच मिलियन पाउंड से अधिक बल उत्पन्न करते हैं, जो लगभग 18 बोइंग-747 विमानों के बराबर है।
- मर्लिन इंजन का विकास स्पेसएक्स द्वारा, फाल्कन-1, फाल्कन-9 और फाल्कन हैवी लॉन्च वाहनों पर उपयोग के लिए किया गया है। मर्लिन इंजन गैस-जनरेटर पावर चक्र में रॉकेट प्रणोदक के रूप में RP1 और तरल ऑक्सीजन का उपयोग करता है। मर्लिन इंजन को मूल रूप से पुनर्प्राप्ति और पुन: उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया था।
स्रोत – द हिन्दू