फुजिवारा इफेक्ट (Fujiwhara Effect)
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, हाल ही में टाइफून हिनामनोर और गार्डो नामक उष्णकटिबंधीय तूफान में फुजिवारा प्रभाव/फुजिवारा इफेक्ट देखा गया है।
टाइफून हिनामनोर,जापान और दक्षिणी कोरिया में आया बहुत बड़ा एवं शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात था। इसे फिलीपींस में सुपर टाइफून हेनरी के नाम से भी जाना जाता है
फुजिवारा इफ़ेक्ट निम्नलिखित विशेषताओं के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बीच अंतर्क्रिया है:
- इसके अंतर्गत, एक ही महासागर क्षेत्र में लगभग एक ही समय में दो या अधिक चक्रवातों का निर्माण होता है।
- चक्रवातों के केंद्र या आँख (eye) 1,400 कि.मी. से कम की दूरी पर होते हैं।
- उनकी तीव्रता एक अवदाब (वायु की गति 63 कि.मी. प्रति घंटे से कम) और एक सुपर टाइफून (वायु की गति 209 कि.मी. प्रति घंटे से अधिक) के बीच अलग-अलग हो सकती है।
फुजिवारा इफ़ेक्ट के परिणाम:
- किसी एक या दोनों चक्रवातों के मार्ग और तीव्रता में परिवर्तन हो सकता है।
- कुछ दुर्लभ मामलों में, दोनों चक्रवातों का विलय होकर एक बड़े चक्रवात का निर्माण हो सकता है
फुजिवारा प्रभाव के विभिन्न तरीके हो सकते हैं:
- प्रत्यास्थ परस्पर-क्रिया: इस परस्पर-क्रियाओं में केवल तूफानों की गति की दिशा बदलती है और यह सबसे आम घटना है। यह ऐसी घटना है जिनका आकलन करना मुश्किल है एवं इनकी बारीकी से जाँच की ज़रूरत है।
- पार्शियल स्ट्रेनिंग आउट: इस परस्पर-क्रियाओं में लघु तूफान का एक हिस्सा वायुमंडल में विलीन हो जाता है।
- कम्पलीट स्ट्रेनिंग आउट: इस परस्पर-क्रियाओं में लघु तूफान पूरी तरह से वायुमंडल में विलीन जाता है और समान शक्ति के तूफानों के लिये दबाव नहीं होता है।
- आंशिक विलय: इस अंतःक्रिया में लघु तूफान, वृहद तूफान में विलीन हो जाता है।
- पूर्ण विलय: इसमें समान शक्ति वाले दो तूफानों के बीच पूर्ण विलय होता है।
स्रोत – द हिन्दू