फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FSTCS)के लिए केंद्र प्रायोजित योजना
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के लिए केंद्र प्रायोजित योजना को जारी रखने की स्वीकृति प्रदान की है।
- इस योजना को 1572.86 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक, आगामी 2 वर्षों के लिए विस्तार प्रदान किया गया है।
- इस योजना के लिए केंद्र का हिस्सा 971.70 करोड़ रुपये को निर्भया कोष से प्रदान किया जाएगा।
- विदित हो कि, ‘निर्भया फंड फ्रेमवर्क’ महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक गैर-व्यपगत समग्र कोष (non-lapsable corpus fund) प्रदान करता है। यह कोष आर्थिक कार्य विभाग द्वारा प्रशासित है।
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (Fast Track Special Courts: FSTCS)
- फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (Fast Track Special Courts: FSTCS) लैंगिक अपराधों के पीड़ितों के लिए त्वरित न्याय हेतु समर्पित न्यायालय हैं। ये न्यायालय लैंगिक अपराधियों के विरुद्ध निवारक ढांचे को दृढ़ता प्रदान करते हैं।
- बलात्कार और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (The Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) अधिनियम, 2012 के मामलों के शीघ्र निपटान हेतु FSTC को दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत स्थापित किया गया था।
- इस उद्देश्य के लिए कुल 1023 FSTC स्थापित किए गए थे। इनमें से 389 FSTCs विशेष रूप से POCSO अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवाई पर केंद्रित हैं।
- प्रत्येक FSTC में एक न्यायिक सदस्य और सात अन्य सदस्य होते हैं।
- FSTC की स्थापना का उत्तरदायित्व राज्य और संघ शासित प्रदेशों की सरकारों का है।
- वर्तमान में 28 राज्य इस योजना के अंतर्गत शामिल हैं। पात्र सभी 31 राज्यों को शामिल करने के लिए इस योजना का विस्तार प्रस्तावित है।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012
- इसे बच्चों को लैंगिक उत्पीड़न, लैंगिक हमलों और पोर्नोग्राफी (अश्लील फिल्मांकन) संबंधित अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया था। ऐसे अपराधों की सुनवाई हेतु विशेष न्यायालयों की स्थापना का भी प्रावधान किया गयाहै।
- संबंधित विविध अपराधों के लिए दंड में वृद्धि करने का प्रावधान शामिल करने हेतु वर्ष 2019 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था।
स्रोत – द हिन्दू