प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत 3,300 करोड़ रुपये से अधिक के फसल बीमा दावे लंबित हैं।
लोकसभा में सरकार द्वारा प्रस्तुत एक उत्तर के अनुसार, वर्ष 2018-19 से फसल बीमा दावों में संपूर्ण भारत के किसानों को 3,300 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया जाना लंबित है। यह देरी भुगतान विफलता और राज्य द्वारा सब्सिडी में विलंब के कारण हो रही है।
झारखंड, तेलंगाना और महाराष्ट्र के किसानों के लिए भुगतान की सर्वाधिक राशि लंबित थी।
PMFBY प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत निम्नलिखित प्रीमियम दरों पर गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक जोखिमों के विरुद्ध बुवाई पूर्व से लेकर कटाई के बाद की अवधि तक व्यापक फसल बीमा प्रदान किया जाता है:
- खरीफ फसलों के लिए 2%,
- रबी फसलों के लिए 1.5%,
- बागवानी और वाणिज्यिक फसल के लिए 5%
इच्छित लाभार्थी:
- किसी अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित फसल उगाने वाले बटाईदारों और काश्तकार किसानों सहित सभी किसान। ज्ञातव्य है कि बीमा की यूनिट राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
- PMFBY के कार्यान्वयन में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने के लिए वर्ष 2020 में इस योजना में सुधार किया गया था।
इन सुधारों में शामिल हैं:
- सभी किसानों के लिए नामांकन स्वैच्छिक बनाना : ध्यातव्य है कि इससे पूर्व ऋणग्रस्त किसानों के लिए ही बीमा अनिवार्य था।
- प्रीमियम सब्सिडी के केंद्रीय हिस्से को सिंचित क्षेत्रों के लिए 50% से घटाकर 25% और असिंचित क्षेत्रों के लिए 30% करना।
- 50% या उससे अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा वाले जिलों को सिंचित क्षेत्र/जिला माना जाएगा।
स्रोत – हिन्दू