फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजना
हाल ही में भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए कोयला मंत्रालय लगातार राष्ट्रीय कोयला लॉजिस्टिक योजना के विकास पर कार्य कर रहा है।
इसमें कोयला खदानों के पास रेलवे साइडिंग के माध्यम से फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (First Mile Connectivity: FMC) शामिल है।
कोयला मंत्रालय ने First Mile Connectivity परियोजनाओं के अंतर्गत मशीनों द्वारा कोयला परिवहन और लोडिंग प्रणाली में सुधार के लिए योजना तैयार की है।
फर्स्ट- माइल कनेक्टिविटी का तात्पर्य पिथेड से डिस्पैच पॉइंट्स तक कोयले के परिवहन से है। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी की अवधारणा पूर्ण रूप से परिवर्तन लाने का एक विशिष्ट कदम है।
फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (FMC) परियोजना के लाभ:
- फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी निकटतम रेलवे साइडिंग तक कन्वेयर या सड़कों का उपयोग करके खनन क्षेत्रों में कोयले को सड़क मार्ग से ढुलाई की प्रक्रिया को समाप्त करती है।
- सड़क के माध्यम से निकटतम रेलवे साइडिंग तक कोयले को ले जाने से सड़क पर ट्रकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
- यह वायु प्रदूषण, सड़क पर ट्रकों की भीड़ और सड़क क्षति जैसे प्रभावों को कम करता है, जिससे एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनते में सहायता मिलती है।
- फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) प्राकृतिक संसाधनों और हरित आवरण के संरक्षण में योगदान देता है। इसे अपनाने से, कोयला खनन कार्य लंबे समय में आर्थिक रूप से अधिक व्यवहारिक हो जाता है।
- प्रौद्योगिकी-संचालित प्रक्रियाओं को लागू करने से न केवल उत्पादकता बढ़ती है बल्कि परिचालन लागत भी कम होती है। इससे कोयला क्षेत्र को लाभ मिलता है। इससे जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव कम होता है और वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
स्रोत – फाइनेंस एक्सप्रेस