प्लास्टिक समझौते का शुभारंभ करने वाला भारत प्रथम एशियाई देश होगा
इंडिया प्लास्टिक पैक्ट (IPP) को 16वें भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry: CII) के वार्षिक संधारणीयता शिखर सम्मेलन में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (WWF) और ‘भारतीय उद्योग परिसंघ’ के मध्य सहयोग के रूप में लॉन्च किया गया है।
IPP एक महत्वाकांक्षी व सहयोगात्मक पहल है। यह व्यवसायों, सरकारों, शोधकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों को एक मंच प्रदान करती है।
IPP ने मौजूदा रैखिक प्लास्टिक प्रणाली (linear plastics system) को ‘चक्रीय प्लास्टिक अर्थव्यवस्था’ (circular plastics economy) में परिवर्तित करने के लिए समयबद्ध लक्ष्य-आधारित प्रतिबद्धताएं निर्धारित की हैं।
IPP को वैश्विक स्तर पर अन्य प्लास्टिक समझौतों से संबद्ध किया जाएगा।
इसका उद्देश्य, लक्ष्य और महत्वाकांक्षा एलेनमैक आर्थर फाउंडेशन की नई प्लास्टिक अर्थव्यवस्था के सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों के अनुरूप होना है।
प्रथम प्लास्टिक पैक्ट वर्ष 2018 में यूनाइटेड किंगडम में लॉन्च किया गया था।
इंडिया प्लास्टिक पैक्ट (IPP)की आवश्यकता
- भारत वार्षिक रूप से 46 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न करता है, जिसमें से 40 प्रतिशत एकत्र नहीं किया जाता है।
- वर्ष 2050 तक, प्लास्टिक जनित ग्रीनहाउसगैस उत्सर्जन 56 गीगाटन से अधिक तक पहुंच सकता है, जो शेष कार्बन बजट का 10-13 प्रतिशत है।
अन्य सरकारी पहले
- पोत परिवहन और मत्स्य पालन से उत्पन्न होने वाले समुद्री प्लास्टिक अपशिष्ट की रोकथाम एवं उसे कम करने के लिए ग्लोलिटर पार्टनरशिप्स प्रोजेक्ट (GloLitter Partnerships Project) की शुरुआत की गई है।
- भारत को वर्ष 2022 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध आरोपित किया गया है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 विशिष्ट एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करते हैं।
- प्लास्टिक हैकथॉन 2021 अभियान का आयोजन भी किया गया था।
स्रोत – द हिन्दू