प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद और प्रौद्योगिकी पर एक रिपोर्ट जारी
हाल ही में,नीति आयोग ने ‘प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद और प्रौद्योगिकी तथा उनके अनुप्रयोग’ पर एक रिपोर्ट जारी की है।
नीति आयोग ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इसे प्लास्टिक के विकल्प या प्लास्टिक को नष्ट होने योग्य बनाने वाली प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान के विकास का आकलन करने का कार्य सौंपा गया था।
इस रिपोर्ट में जैव-प्लास्टिक, जैव निम्नीकरणीय प्लास्टिक, अपघटन योग्य प्लास्टिक और ऑक्सो-डिग्रेडेबल प्लास्टिक की स्पष्ट परिभाषाएं दी गयीं हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष–
- भारत प्रतिवर्ष लगभग 7 लाख टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्पादन करता है। इनमें से केवल 60% ही पुनर्चक्रण (रिसाइकिल) के लिए एकत्र किया जाता है।
- भूमि, वायु और जल निकायों पर प्लास्टिक अपशिष्ट (विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक) की बढ़ती सांद्रता के कारण इनका प्रबंधन जरूरी है। (5 मिलीमीटर तक के आकार के प्लास्टिक कण को माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं।)
- अनौपचारिक क्षेत्र और अभावग्रस्त समूह अपशिष्ट के पुनर्चक्रण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- जैव-प्लास्टिक को लागत प्रभावी विकल्प बनाने के लिए इसमें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी निवेश और आर्थिक रूप से संगत बनाने की आवश्यकता है।
- प्लास्टिक को जैव निम्नीकरणीय पॉलीओलेफिन बनाने के लिए योजक (एडिटिव) जोड़ने हेतु उभरती हुई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। (जैव निम्नीकरणीय पॉलीओलेफिन के उदाहरण हैं; पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलिएथिलीन।)
रिपोर्ट में की गई सिफारिशें
- विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (extended producer responsibility: EPR) के माध्यम से अपशिष्ट न्यूनीकरण को बेहतर बनाया जाना चाहिए।
- अपघटन योग्य, और जैव निम्नीकरणीय प्लास्टिक की उचित लेबलिंग एवं संग्रह किया जाना चाहिए।
- जवाबदेही तय करने और ग्रीनवाशिंग से बचने के लिए अपशिष्ट उत्पादन. संग्रह पुनर्चक्रण या वैज्ञानिक रीति से निपटान को सार्वजनिक करने में पारदर्शिता बढ़ायी जानी चाहिए।
- ग्रीनवाशिंग से तात्पर्य किसी कंपनी के उत्पाद के बारे में झूठा प्रभाव फैलाना या भ्रामक सूचना देना कि वह उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल है।
- अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ।
प्रमुख परिभाषाएँ
जैव-प्लास्टिक (Bio-plastics): इसमें ऐसी कई सामग्रियां होती हैं, जो या तो जैविक स्रोतों से प्राप्त की जाती हैं, या वे जैव-निम्नीकरणीय होती हैं या दोनों होती हैं। ये सामग्रियां नवीकरणीय बायोमास संसाधनों से बनाई जाती हैं।
जैव-निम्नीकरणीय (Biodegradable) प्लास्टिक: यह अपघटन योग्य प्लास्टिक से भिन्न अन्य प्रकार का प्लास्टिक है। इसे जैविक प्रक्रियाओं द्वारा पूरी तरह से निम्नीकृत किया जा सकता है। पर्यावरण पर इनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
ऑक्सो-डिग्रेडेबल प्लास्टिक: पॉलीएथिलीन (PE) जैसे पारंपरिक प्लास्टिक हैं। इन्हें छोटे टुकड़ों में टूटने में मदद करने के लिए एक योजक समाहित किया जाता है। इनसे पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक का प्रवेश हो सकता है।
स्रोत –द हिन्दू