हाल ही में UNDP ने भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (Plastic Waste Management: PWM) का व्यापक विस्तार करने की योजना बनाई है।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के PWM (2018-2024) कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2024 तक भारत के 100 शहरों में अपने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को लगभग तिगुना करना है।
- UNDP ने हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड तथा हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड सहित अन्यों के साथ साझेदारी में इस परियोजना को आरंभ किया है। इसका लक्ष्य भारत में पर्यावरण पर प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रभाव को कम करने के लिए मौजूदा प्रणालियों को आधार के रूप में उपयोग करना है।
- यह चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए सभी प्रकार के प्लास्टिक के संग्रह, पृथक्करण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देगा।
- अब तक 83,000 मीट्रिक टन प्लास्टिक अपशिष्ट एकत्र किया जा चुका है।
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को संस्थागत करने के प्रयास में यह परियोजना 5,500 सफाई साथियों तक पहुंच गई है।
- 9,000 सफाई साथियों की मदद के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम “उत्थान” आरंभ किया गया था।
- हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण मेडिकल प्लास्टिक अपशिष्ट सहित कचरे में व्यापक वृद्धि के बाद इस कार्यक्रम में कुछ अवरोध उत्पन्न हुआ है।
- UNDP, नीति आयोग के साथ भी कार्य कर रहा है। साथ ही, उसने संयुक्त रूप से स्थानीय नगरपालिकाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र के लिए भी एक हैंडबुक मॉडल विकसित किया है।
- ‘हैंडबुक’ में संपूर्ण प्लास्टिक अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला के घटकोंको प्रतिनिधित्व देकर और चर्चा करके PWM का व्यापक अवलोकन किया गया है।
स्रोत – द हिंदू