प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023 जारी

प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023 जारी

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने “प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट, 2023” जारी की है।

यह रिपोर्ट हरित नवाचार की अवधारणा पर केंद्रित है । हरित नवाचार में ऐसी नई या बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं का सृजन करना या उपलब्ध कराना शामिल है, जिनका कार्बन फुटप्रिंट अपेक्षाकृत कम हो तथा जो अवसर के नए मार्ग खोलती हों।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • उत्तर दक्षिण विश्व के मध्य गहरा विभाजन: यूरोपीय संघ के देश अनुसंधान और विकास पर अपनी जीडीपी का 3 प्रतिशत तक व्यय करते हैं। इसके विपरीत, कुछ विकासशील देश केवल 1 प्रतिशत ही खर्च कर पा रहे हैं।
  • वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के बाद अधिकतर देशों ने अपनी जलवायु परिवर्तन संबंधी ‘हरित आधिकारिक विकास सहायता (ODA)’ में वृद्धि की है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संयुक्त राष्ट्र का समर्थन: संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF), पर्यावरणीय उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों (ESTs) का हस्तांतरण करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा वित्त पोषण स्रोत है।
  • UNFCCC का संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रौद्योगिकी केंद्र और नेटवर्क (CTCN) विकासशील देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

हरित नवाचार के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने हेतु की गई सिफारिशें:

  • व्यापार को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के संगत बनाया जाना चाहिए।
  • हरित प्रौद्योगिकी के विकास के लिए साझेदारी उन्मुख दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए ।
  • हरित नवाचारों के लिए अनुसंधान को राष्ट्रीय सीमा से परे ले जाकर अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप दिया जाना चाहिए। साथ ही, खुले नवाचार दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए।
  • हरित नवाचार के लिए दक्षिण-दक्षिण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) सहयोग का समर्थन करने की जरूरत है।
  • उच्चतर स्तर के प्रयोग – राष्ट्रों को नवप्रवर्तक होना ही चाहिए। अनुसरण करते हुए आगे बढ़ना पर्याप्त नहीं है।
  • हरित नवाचार सामाजिक मूल्य वाला होना चाहिए और इसमें जलवायु से संबंधित सार्वजनिक वस्तुओं (पब्लिक गुड्स) के लिए भी प्रावधान होने चाहिए ।
  • हरित नवाचार में प्रत्यक्ष सरकारी हस्तक्षेप शामिल होना चाहिए ।
  • हरित नवाचार को जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैश्विक एजेंडा, नियमों और तंत्रों (जैसे पेरिस समझौता) से प्रभावित होना चाहिए ।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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