प्रोजेक्ट लॉयन में गुजरात के बरदा को दूसरे एशियाई शेरों के अधिवास के रूप चयनित
गुजरात सरकार ने बरदा वन्यजीव अभयारण्य (BWS) को एशियाई शेरों के लिए दूसरे अधिवास के रूप में प्रस्तावित किया है।
यह गिर राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 100 किमी दूर है जहां इस बड़ी बिल्ली की संख्या अधिक हो गई है। > केंद्र सरकार ने इस परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
शेरों को बरदा में स्थानांतरित करने की सिफारिश “लॉयन @ 2047 : अमृतकाल के लिए विज़न” शीर्षक वाली रिपोर्ट में की गई थी।
यह रिपोर्ट भारतीय वन्यजीव संस्थान ने जारी की थी बरदा में मालधारी समुदाय भी निवास करता है ।
BWS निम्नलिखित स्थितियों में शेरों की आबादी को विलुप्त होने से बचाएगा-
- कैनाइन डिस्टेंपर वायरस जैसी बीमारियों की स्थिति में
- शिकार की संख्या में अप्रत्याशित कमी से
- प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में,
- प्रतिशोधात्मक वध से आदि।
प्रोजेक्ट लॉयन के तहत गुजरात में एशियाई शेरों के भू-परिदृश्य पारिस्थितिकी आधारित संरक्षण की परिकल्पना की गई है। इसके लिए संरक्षण और पर्यावरण – विकास को एकीकृत किया जाएगा ।
इसे प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट की तर्ज पर 2020 में शुरू किया गया था । एशियाई शेर केवल भारत में पाए जाते हैं। गुजरात में इनके 5 संरक्षित क्षेत्र हैं – गिर राष्ट्रीय उद्यान, गिर अभयारण्य, पनिया अभयारण्य, मितियाला अभयारण्य और गिरनार अभयारण्य ।
संरक्षण की स्थिति: यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची – 1 में और CITES के परिशिष्ट – 1 में सूचीबद्ध है। यह IUCN की लाल सूची में एंडेंजर्ड के रूप में वर्गीकृत है।
एशियाई शेर अफ्रीकी शेरों की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं। अफ्रीकी शेर IUCN की लाल सूची में वल्नरेबल के रूप में सूचीबद्ध हैं।
लायन @47 विज़न फॉर अमृत काल
- शेरों के पर्यावासों को सुरक्षित और पुनर्स्थापित करना,
- संरक्षण में स्थानीय समुदायों को शामिल करना,
- भारत को बड़ी बिल्लियों के रोग के निदान एवं उपचार का एक वैश्विक केंद्र बनाना और प्रोजेक्ट लायन जैसी पहलों के माध्यम से संरक्षण को बढ़ावा देना।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स