प्रोजेक्ट लायन
हाल ही में केंद्र सरकार ने गुजरात के गिर क्षेत्र में एशियाई शेरों (Asiatic lions) के संरक्षण के लिए एक “Lion@47: Vision for Amrutkal” शीर्षक वाली योजना का अनावरण किया है।
- “लायन @47: विज़न फॉर अमृतकल” योजना लायन प्रोजेक्ट (Project Lion) के अंतर्गत प्रारंभ की गई है।
- इसका उद्देश्य शेरों की बढ़ती आबादी का प्रबंधन करने के लिए आवासों को सुरक्षित और पुनर्स्थापित करना है। साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका उत्पन्न करना, शेरों के रोग निदान और उपचार पर ज्ञान का एक वैश्विक केंद्र स्थापित करना और समावेशी जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देना है।
प्रोजेक्ट टाइगर से तुलना
- प्रोजेक्ट लायन को गुजरात में गिर के परिदृश्य में लागू किया जा रहा है, जो एशियाई शेरों का अंतिम बचा हुआ आवास है।
- इसके विपरीत प्रोजेक्ट टाइगर देश भर के 53 टाइगर रिजर्व में लागू किया जा रहा है। इन दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य इन प्रमुख प्रजातियों द्वारा बसाए गए पारिस्थितिक तंत्रों के समग्र संरक्षण को सुनिश्चित करना है।
प्रोजेक्ट लायन
- प्रोजेक्ट लायन गुजरात सरकार और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण सहित अन्य हितधारकों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है और केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट लायन की शुरुआत की घोषणा की है, जिसमें समग्र रूप से एशियाई शेर और उसके परिदृश्य का संरक्षण शामिल है।
लाभ –
- प्रोजेक्ट लायन आवास विकास को बढ़ावा देगा, शेर प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों को शामिल करेगा और उन्नत विश्वव्यापी अनुसंधान और पशु चिकित्सा देखभाल के माध्यम से शेर और उससे जुड़ी प्रजातियों में रोगों के मुद्दों को संबोधित करेगा।
एशियाई शेर
- एक समय में पूर्वी एशिया में पलामू (Palamau) से लेकर फारस (ईरान) तक पाई जाने वाली एशियाई शेरों की प्रजाति अंधाधुंध शिकार और आवासीय क्षति के कारण विलुप्त होने को है।
- 1890 के दशक के अंत तक गुजरात के गिर जंगलों में शेरों की 50 से भी कम जनसंख्या बची थी। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समय पर कड़े सुरक्षा उपाय किये जाने के बाद वर्तमान में एशियाई शेरों की संख्या बढ़कर 500 से अधिक हो पाई है।
- वर्ष 2015 में आखिरी जनगणना में 1648.79 वर्ग किमी. के गिर संरक्षित क्षेत्र के नेटवर्क (Gir Protected Area Network) में एशियाई शेरों की संख्या 523 दर्ज की गई।
IUCN स्थितिः एंडेंजर्ड
- संरक्षणः वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची 1और CITES के परिशिष्ट -1 के अंतर्गत संरक्षित है ।
स्रोत – पी.आई.बी.