अल्फाबेट, कम्पनी का “प्रोजेक्ट तारा”
हाल ही में अल्फाबेट ने दूरदराज के इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए लेजर का उपयोग शुरू किया है।
अल्फाबेट, प्रोजेक्ट तारा के तहत वर्तमान में भारत व अफ्रीका सहित दुनिया भर के अनेक क्षेत्रों में लाइट बीम इंटरनेट तकनीक का प्रयोग कर रही है । अल्फाबेट गूगल की पैरेंट कंपनी है।
प्रोजेक्ट तारा में फ्री स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन (FSOC) तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसमें मुक्त क्षेत्र (फ्री स्पेस), लाइन-ऑफ-साइट में मौजूद ट्रांसीवर्स के बीच संचार के माध्यम (कम्युनिकेशन चैनल) के रूप में कार्य करता है।
इसमें लंबी दूरी तक तीव्र गति व उच्च क्षमता वाली कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए लाइट बीम का उपयोग किया जाता है। इसमें 20 कि.मी. की दूरी तक दोनों दिशाओं में 20 GBPS तक की उच्च गति से डेटा संचारित किया जा सकता है ।
FSOC आउटडोर ऑप्टिकल वायरलेस कम्युनिकेशन (OWC) को दर्शाता है। इसके विपरीत, इनडोर या कम दूरी के OWC को लाइट फिडेलिटी (LiFi) कहा जाता है।
वर्तमान में डेटा संचारित करने के लिए लाईफाई दृश्यमान प्रकाश स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रहा है। साथ ही, इसके तहत अवरक्त व पराबैंगनी प्रकाश स्पेक्ट्रम (अदृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम) पर भी डेटा संचारित कर सकता है ।
FSOC प्रौद्योगिकी के लाभ:
- यह अधिक लागत प्रभावी है,
- इसे जल्दी से उपयोग में लाया जा सकता है,
- इसके तहत तीव्र गति से डेटा संचारित किया जा सकता है,
- यह उन क्षेत्रों में अधिक उपयोगी है, जहां भौतिक अवरोधों के कारण फाइबर केबल बिछाना मुश्किल होता है ।
इसके कार्यान्वयन में विद्यमान चुनौतियां:
- कोहरे और धुंध जैसी स्थितियों या सिग्नल के मार्ग में पक्षियों के उड़ने जैसी रुकावटों के कारण सिग्नल की विश्वसनीयता कम होती है;
- इसके लिए बेहतर दर्पण (विशेष रूप से अवतल) नियंत्रण की आवश्यकता होती है ।
स्रोत – इकोनोमिक्स टाइम्स