प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट हाथी का विलय
हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट का विलय कर दिया है।
विलय के बाद पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक नया प्रभाग, ‘प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलिफेंट डिवीजन’ (PT & E) अधिसूचित किया गया है।
वर्तमान में दोनों योजनाओं के लिए प्रशासनिक व्यवस्था अलग-अलग बनी रहेगी, विलय के बाद केवल फंडिंग एक साथ की जायेगी ।
विलय के बाद प्रोजेक्ट एलीफेंट के कार्मिक व प्रभागीय अध्यक्ष अतिरिक्त वन महानिदेशक प्रोजेक्ट टाइगर को रिपोर्ट करेंगे।
विलय का महत्त्व
दोनों प्रजातियों का पर्यावास समान है, इस समामेलन से दोनों जानवरों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा ।
इस साल से शुरू होने वाली दोनों परियोजनाओं के लिए एक सामान्य आवंटन से फंड दिया जाएगा।
इससे दोनों परियोजनाओं का प्रशासन कुशल और व्यवस्थित होगा ।
विलय से संबंधित चुनौतियां
विलय के संबंध में विवरण की कमी है जिससे भ्रम पैदा हो रहा है।
कई प्रजातियों को एक ही परियोजना के अंतर्गत शामिल करने से बाघों के लिए आवंटित किए जाने वाले फंड में कमी आ सकती है । इससे बाघों के संरक्षण पर असर पड़ने की संभावना है।
विलय से बाघ अभयारण्यों के वित्तपोषण पैटर्न पर असर पड़ेगा, क्योंकि परियोजना हाथी परियोजना बाघ पर परजीवी बन जाएगी और दोनों को नुकसान होगा।
प्रोजेक्ट टाइगर
यह भारत सरकार के ‘पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित योजना है। इसे वर्ष 1973 में उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से शुरू किया गया था ।
इसके लिए नोडल एजेंसी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) है, जो कि एक सांविधिक निकाय है।
इसका उद्देश्य वैज्ञानिक, आर्थिक, सौंदर्यात्मक, सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक मूल्यों के लिए भारत में बाघों की व्यवहार्य आबादी का रख-रखाव सुनिश्चित करना है ।
इसके शुरुआत के समय देश में 9 बाघ अभ्यारण्यों थे ,वर्तमान में बढ़कर 54 हो गए है ।
टाइगर के बारे में
धारीदार जानवर ‘बाघ’ जिसका वैज्ञानिक नाम ‘पेंथेरा टाइग्रिस’ है । बाघ को भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में स्थान प्राप्त है ।
बाघ की अभी तक ज्ञात कुल आठ प्रजातियों में से, भारतीय प्रजाति, रॉयल बंगाल टाइगर , उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में और पड़ोसी देशों, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में भी पाई जाती है।
प्रोजेक्ट एलीफेंट
इसे वर्ष 1992 में भारत सरकार के ‘पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ द्वारा ने शुरू किया गया था।
इस योजना को देश के प्रमुख हाथी प्रभावित राज्यों को हाथियों, उनके आवासों और गलियारों की सुरक्षा के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था।
भारतीय हाथी के बारे में
भारतीय हाथी जिसका वैज्ञानिक नाम ‘एलिफ़स मैक्सिमस’है, मध्य और दक्षिणी पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व भारत, पूर्वी भारत और उत्तरी भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
इसे भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु माना जाता है।
वर्तमान में भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र के 80,778 वर्ग किलोमीटर में कुल 33 हाथी रिजर्व हैं , तराई हाथी रिजर्व नवीनतम है।
यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम , 1972 की अनुसूची I और वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट I में शामिल है।
स्रोत – डाउन टू अर्थ