प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूर्ण
हाल ही में भारत में “प्रोजेक्ट टाइगर” के 50 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। विदित हो कि भारत में बाघों की सुरक्षा के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था।
यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना के तहत बाघ पर्यावास वाले राज्यों को नामित टाइगर रिज़र्व में बाघ संरक्षण के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है ।
यह योजना देश में बाघों की घटती आबादी को देखते हुए शुरू की गई थी। 1970 के दशक में भारत में बाघों की संख्या 2000 से भी कम रह गई थी ।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) प्रोजेक्ट टाइगर की कार्यान्वयन एजेंसी है। NTCA की स्थापना वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत की गई है ।
इसकी व्यापक पर्यवेक्षी / समन्वयकारी भूमिका है। यह राज्य सरकारों द्वारा तैयार की गई बाघ संरक्षण योजनाओं को मंजूरी प्रदान करता है।
NTCA की संरचना में शामिल हैं: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के प्रभारी मंत्री (अध्यक्ष के रूप में), MoEFCC के राज्य मंत्री (उपाध्यक्ष के रूप में), 3 सांसद, MoEFCC का सचिव आदि ।
प्रोजेक्ट टाइगर की उपलब्धियां
में विश्व की 70 प्रतिशत बाघ आबादी है । इस प्रोजेक्ट की वजह से भारत में बाघों की आबादी बढ़कर वर्तमान में लगभग 3,000 हो गई है।
भारत आरंभ में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 9 टाइगर रिज़र्व थे, लेकिन भारत में अब 53 टाइगर रिज़र्व हैं।ये रिज़र्व देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 2.4 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं ।
टाइगर आबादी वाले देशों के लिए 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। भारत ने 4 साल पहले ही यानी 2018 में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया था ।
बाघ संरक्षण की स्थिति:
भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट- I।
स्रोत – द हिन्दू