न्यायालय ने प्रेस की स्वतंत्रता पर बल दिया
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक समाचार चैनल मीडिया वन (MediaOne) पर लगा प्रसारण प्रतिबंध हटाने के आदेश दिया है।
विदित हो कि कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने एक मलयालम समाचार चैनल मीडियावन पर प्रसारण प्रतिबंध लगा दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड बनाम भारत संघ और अन्य वाद, 2022 में इस प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया है।
इस प्रकार न्यायालय ने प्रेस की स्वतंत्रता पर बल दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु –
- राज्य ठोस तथ्यों के बिना ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के बहाने नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता है।
- सिक्योरिटी क्लीयरेंस की मनाही संबंधी कारणों का गैर-प्रकटीकरण तथा प्रासंगिक तथ्यों को सीलबंद कवर में केवल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना अपीलकर्ता के अधिकारों के खिलाफ है।
- सरकार की नीतियों के खिलाफ चैनल के आलोचनात्मक विचारों को सरकार विरोधी नहीं कहा जा सकता है।
- किसी मीडिया चैनल के संचालन की अनुमति का नवीनीकरण न करना प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध है।
- इस स्वतंत्रता पर केवल संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में उल्लिखित युक्तियुक्त आधारों पर ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है ।
लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
- मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है । अन्य तीन स्तंभ हैं- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका
- यह जनता और सरकार के बीच सेतु का काम करती है।
- यह लोकतांत्रिक समाज में खामियों को उजागर करती है। इससे प्रशासन को अधिक जवाबदेह, उत्तरदायी और लोकतांत्रिक बनाने में सरकार को मदद मिलती है।
- मीडिया को मानवाधिकारों की वकालत करने और जनमत तैयार करने के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
चुनौतियां –
- पेड न्यूज और फेक न्यूज जनता की धारणा को प्रभावित कर सकती हैं।
- वस्तुनिष्ठ पत्रकारिता के अभाव में समाज में सत्य की झूठी प्रस्तुति होती है ।
- मीडिया के विकास के साथ ही लोगों की निजता भी कम हुई है ।
- मीडिया में विविधता और सांस्कृतिक समावेशन का अभाव है ।
- डिया ट्रायल में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है ।
स्रोत – द हिन्दू