प्रारूप विद्युत (संशोधन) विधेयक 2021
हाल ही में सरकार ने प्रारूप विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2021 में से कई धाराएं हटाई है।
प्रारूप विधेयक का उद्देश्य विद्युत क्षेत्र में वाणिज्यिक और निवेश गतिविधियों को कमजोर करने वाले मुद्दों का समाधान करने के लिए विद्युत अधिनियम, 2003 में संशोधन करना है।
ध्यातव्य है कि सभी विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOMs) का संयुक्त राजस्व घाटा 5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
विधेयक के प्रारूप में शामिल प्रमुख प्रावधान
- निजी क्षेत्र के अभिकर्ताओं को राज्य के स्वामित्व वाली विद्युत डिस्कॉम्स के साथ अनुबंध करने और प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने के लिए विद्युत वितरण व्यवस्था को लाइसेंस मुक्त करना।
- यह केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के परामर्श से राष्ट्रीयनवीकरणीय ऊर्जा नीति तैयार करने का अधिकार प्रदान करता है।
- क्रॉस-सब्सिडी में किसी भी कमी को पूरा करने के लिए एक सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि का प्रावधान।
- विधेयक में नवीकरणीय खरीद दायित्व (renewable purchase obligation: RPO) सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व राज्य आयोगों से केंद्र सरकार को स्थानांतरित कर दिया गया है।
हालांकि, कई राज्यों ने प्रारूप विधेयक के कुछ प्रावधानों के बारे में चिंताओं को रेखांकित किया है, जैसेः
- निजी अभिकर्ताओं के प्रवेश से ‘चेरी–पिकिंग’ हो सकती है। निजी अभिकर्ता केवल वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को विद्युत प्रदान करेंगे न कि आवासीय एवं कृषि उपभोक्ताओं को।
- RPOsकी पूर्ती करने में विफलता के लिए कठोर दंड का प्रावधान।
- क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र और राज्य भार प्रेषण केंद्र द्वारा राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- अब, सरकार ने विभिन्न हितधारकों द्वारा आपत्तियां प्रकट कियेजाने के बाद प्रारूप विधेयक के कई खंडों को हटाने का निर्णय लिया है।
स्रोत – पी आई बी
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