सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से प्रारंभिक बाल्यावस्था और शिक्षा को बढ़ावा देगी
हाल ही में केंद्र सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education: ECCE ) को बढ़ावा देगी
केंद्र सरकार ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ नारे के तहत 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से ECCE को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है ।
इसके तहत आंगनवाड़ी केंद्रों के स्वरूप में बदलाव लाया जाएगा। बदलाव के तहत 6 साल से कम उम्र के बच्चों (विशेष रूप से 3 साल से कम उम्र के बच्चों) के प्रारंभिक अधिगम (learning) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
गौरतलब है कि इस स्तर पर अधिगम बच्चों के विकास के लिए मूलभूत सिद्ध हुआ है। प्रारंभिक बाल्यावस्था जीवन के प्रथम छह वर्षों के रचनात्मक चरण को कहा जाता है। इस अवस्था में अच्छी तरह से निर्धारित उप-चरण और आयु के अनुरूप आवश्यकताएं होती हैं।
ECCE में सुरक्षात्मक और सक्षमकारी परिवेश के भीतर देखभाल, स्वास्थ्य, पोषण, खेल तथा प्रारंभिक अधिगम शामिल हैं।
ECCE के लिए सरकार की योजनाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप हैं। यह नीति मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान को प्राथमिकता देती है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने संजय कौल की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया था। इसने अपनी रिपोर्ट ( 2022 ) में निम्नलिखित सिफारिशें की थीं:
- “आंगनवाड़ियों की रीब्रांडिंग” के लिए मिशन – मोड दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इसमें बुनियादी ढांचे में सुधार, ECCE सामग्रियां, खेल उपकरण आदि शामिल हैं।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को ‘आंगनवाड़ी शिक्षिका’ और सहायिकाओं को ‘चाइल्ड केयर वर्कर का पदनाम दिया जाना चाहिए ।
- 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए क्रेच की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
- आंगनवाड़ी प्रणाली में अपग्रेड के लिए मनरेगा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसी योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
- अलग-अलग मॉडल्स में समान पाठ्यक्रम विकसित किया जाएगा और बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देने पर बल दिया जाएगा।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस