प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियां अब कोमन सर्विस सेंटर के रूप में कार्य करने के लिए सक्षम
हाल ही में प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (Primary Agricultural Credit Societies : PACS) को कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Centers: CSC) द्वारा दी जाने वाली सेवाएं प्रदान करने हेतु समर्थ करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
समझौता ज्ञापन से पैक्स (PACS) अब जल वितरण, भंडारण, बैंक मित्र सहित 20 अलग-अलग गतिविधियां चला सकेंगे।
सबसे पहला और महत्वपूर्ण कार्य समान सेवा केन्द्र द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं को PACS के माध्यम से ग्रामीण आबादी को उपलब्ध कराना है।
इस समझौते के अंतर्गत PACS अब CSC के रूप में कार्य करने के लिए सक्षम तो होंगी ही, इसके साथ ही पैक्स के 13 करोड़ किसान सदस्यों सहित ग्रामीण आबादी को पैक्स के माध्यम से 300 से भी अधिक CSC सेवाएं भी उपलब्ध हो पाएंगी।
इसके अलावा इससे PACS की व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि होगी और उन्हें आत्मनिर्भर आर्थिक संस्था बनने में मदद मिलेगी।
इस पहल से PACS, CSC योजना के डिजिटल सेवा पोर्टल पर सूचीबद्ध सभी सेवाएं नागरिकों को प्रदान करने में सक्षम होंगी, जिनमें बैंकिंग, इंश्योरेंस, आधार नामांकन / अपडेट, कानूनी सेवाएं, कृषि- इनपुट जैसे कृषि उपकरण, पैन कार्ड और IRCTC, रेल, बस व विमान टिकट सम्बन्ध M सेवाएँ, आदि शामिल हैं।
वर्तमान में चल रही CSC कम्प्यूटरीकरण की केंद्र प्रायोजित परियोजना के तहत विकसित किये जा रहे राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर का उपयोग पैक्स को CSC के रूप में कार्य करने के लिए भी किया जाएगा, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी किसी ना किसी रूप में सहकारिता से जुड़ी है और इतने बड़े सेक्टर के विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने का निर्णय लिया था।
इस वर्ष के बजट में अगले 5 साल में 2 लाख PACS बनाने और हर पंचायत में एक बहुद्देश्यीय PACS की रचना का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा बजट में सहकारिता क्षेत्र के लिए विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना की नींव भी रखी गई है।
PACS के बारे में
अल्पकालिक सहकारी ऋण संरचना त्रि-स्तरीय प्रणाली के साथ संचालित होती है
ग्राम स्तर पर प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS),
जिला स्तर पर केंद्रीय सहकारी बैंक (CCBc) और
राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक (STCsS)।
PACS बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे से बाहर हैं और इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित नहीं हैं।
STCBs/CCBs संबंधित राज्य के राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत पंजीकृत हैं और रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित हैं।
राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों का निरीक्षण करने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम (सहकारी समितियों के लिए लागू) की धारा 35 (6) के तहत राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को शक्तियां सौंपी गई हैं।
स्रोत – पी.आई.बी.