‘प्राचीन स्मारक अधिनियम’ में बदलाव
हाल ही में केंद्र सरकार ‘प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम’, 1958 (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains, 1958 – AMASR, 1958) में संशोधन करने हेतु प्रस्ताव लाया गया है। इस AMASR एक्ट में संरक्षित स्मारकों के आसपास के क्षेत्र को “अधिक अनुकूल और मैत्रीपूर्ण” बनाने हेतु प्रावधान किए गए हैं।
AMASR एक्ट, 1958: संक्षिप्त परिचय
AMASR अधिनियम भारत गणराज्य की संसद द्वारा अधिनियमित एक क़ानून है। इस अधिनियम में, पुरातात्विक उत्खनन और मूर्तियों, नक्काशी एवं इसी तरह की अन्य वस्तुओं की सुरक्षा हेतु विनियमन के लिए, प्राचीन और ऐतिहासिक संस्मारकों और पुरातात्विक स्थलों, तथा राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों के संरक्षण संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
नए संशोधन की आवश्यकता:
- विभिन्न संस्मारकों से संबंधित विकास परियोजनाओं पर विवाद उठने के पश्चात् निषिद्ध और विनियमित क्षेत्रों को युक्तिसंगत बनाना।
- स्मारकों के आसपास के विनियमित क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने के लिए ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ (ASI) को और अधिक अधिकार देना और स्थानीय अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराना।
- ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सूची’ में स्थल/स्मारक को शामिल करने के लिए मानकीकरण करना और जरूरत पड़ने पर स्मारकों को सूची से हटाया भी जा सकता है।
- 100 मीटर और 300 मीटर की ‘निषिद्ध सीमा’ निर्धारण के कारणों की फिर से जांच करना। हाल ही में, संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने भी इस तथ्य की ओर इशारा किया था कि इस ‘सीमा निर्धारण’ के पीछे कोई विशेष कारण नहीं था।
स्रोत -द हिन्दू