भारत के ऊर्जा क्षेत्रक में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी में चुनौतियाँ

भारत के ऊर्जा क्षेत्रक में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी में चुनौतियाँ

हाल ही में जारी फिच रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत अपने ऊर्जा क्षेत्रक में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य की प्राप्ति में कुछ चुनौतियों का सामना करेगा।

भारत के ऊर्जा क्षेत्रक में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य की प्राप्ति में कीमतों में उतार-चढ़ाव व अवसंरचना से संबंधित कमियां प्रमुख चुनौतियां हैं।

फिच रेटिंग्स रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • भारत में गैस पाइपलाइन नेटवर्क के अपर्याप्त विकास और कुछ निर्माणाधीन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी से प्राकृतिक गैस की मांग में वृद्धि सीमित हो सकती है।
  • प्राकृतिक गैस की निरंतर उच्च कीमत और इसके कारण ग्राहकों द्वारा वैकल्पिक ईंधन अपनाने से प्राकृतिक गैस डेवलपर्स के रिटर्न तथा नई पूंजीगत व्यय योजनाओं में कमी आ सकती है।
  • वर्तमान में, भारत के एनर्जी मिक्स में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6% है । यह वैश्विक औसत ( 24% ) से काफी कम है।
  • भारत का लक्ष्य इस हिस्सेदारी को बढ़ाकर 2030 तक 15% करना है।
  • प्राकृतिक गैस के महत्त्व को देखते हुए भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए कदम उठा रहा है।

निम्नलिखित कारणों से प्राकृतिक गैस महत्वपूर्ण है:

  • आर्थिक लाभ : पेट्रोल और डीजल की तुलना में CNG सस्ती है;
  • पार्टिकुलेट मैटर के कम उत्सर्जन के कारण यह पर्यावरण के अनुकूल है;
  • जलवायु परिवर्तन शमन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सहायक है।

प्राकृतिक गैस की दिशा में उठाए गए प्रमुख कदमः

  • प्राकृतिक गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए प्राकृतिक गैस विपणन सुधारों की घोषणा की गई है।
  • स्थानीय स्तर पर मूल्य निर्धारण के लिए गैस ट्रेडिंग एक्सचेंज की स्थापना की गई है।
  • पाइपलाइन और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) नेटवर्क सहित गैस अवसंरचना विकसित करने के लिए 60 बिलियन डॉलर के निवेश की योजना बनाई गई है।
  • प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना और पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना विकसित करके पूर्वी और उत्तर – पूर्वी क्षेत्रों को गैस ग्रिड से जोड़ा गया है।

स्रोत – बिजनेस स्टेंडर्ड

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