प्राकृतिक अल्पकालिक हैलोजन का जलवायु पर अप्रत्यक्ष शीतलन प्रभाव

प्राकृतिक अल्पकालिक हैलोजन का जलवायु पर अप्रत्यक्ष शीतलन प्रभाव

हाल ही में नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और जलवायु को नियंत्रित करने के अलावा, महासागर क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन जैसे अल्पकालिक हैलोजन (short-lived halogens: SLH) जारी करके पृथ्वी को ठंडा रखते हैं।

प्रमुख तथ्य:

  • वर्तमान में, ये हैलोजन शीतलन में 8-10% योगदान करते हैं। अनुमान है कि यह 2100 तक बढ़कर 18-31% हो सकता है। वायुमंडल में अल्पकालिक हैलोजन का जीवनकाल छह महीने से भी कम होता है।
  • वे प्राकृतिक रूप से महासागरों, ध्रुवीय बर्फ और बायोस्फियर द्वारा उत्पन्न होते हैं। हालाँकि, मानव गतिविधियों ने सागर से वायुमंडल में उनके पहुँचने के स्तर को बढ़ा दिया है।
  • अल्पकालिक हैलोजन के प्राकृतिक स्रोतों में बॉयोजेनिक और अजैविक दोनों स्रोत शामिल हैं। बॉयोजेनिक स्रोतों में नौ हेलोकार्बन शामिल हैं जो सूक्ष्म और मैक्रो- शैवाल के साथ-साथ समुद्र की सतह पर फोटोकेमिस्ट्री से जुड़े फाइटोप्लांकटन मेटाबॉलिज्म का परिणाम हैं।
  • मानव गतिविधियों के कारण ओजोन जैसे प्रदूषक तत्व समुद्र में जमा हो जाते हैं, जो बाद में घुलनशील अल्पकालिक हैलोजन को अघुलनशील में बदल देते हैं, जिससे वे समुद्र के पानी से बाहर निकल कर वायुमंडल में चले जाते हैं।
  • हैलोजन क्षोभमंडल (ट्रोपोस्फीयर) में ओजोन की कमी का कारण बनते हैं। ओजोन एक ग्रीनहाउस गैस है जो बाहर जाने वाले विकिरण को रोक लेती है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है। महासागरों से निकले अल्पकालिक हैलोजन ओजोन को कम करके गर्मी को कम करते हैं।
  • अल्पकालिक हैलोजन हाइड्रॉक्सिल रेडिकल्स (OH) को नष्ट करके वातावरण में मीथेन जीवनकाल को बढ़ाते हैं। OH एक सिंक है और यह ग्रीनहाउस गैस मीथेन को तोड़ने के लिए जाना जाता है।
  • ये हैलोजन वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस जलवाष्प (water vapors) के स्तर को भी बढ़ाते हैं।
  • ये अल्पकालिक हैलोजन कूलिंग एरोसोल के निर्माण को कम करते हैं, जो वायुमंडल में सस्पेंडेड पार्टिकल्स होते हैं जो सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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