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प्रश्न – वैश्विक स्तर पर द्वितीय विश्व युद्ध के उपनिवेशों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिये। – 17 May 2021
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध एक समग्र युद्ध था। यह प्रथम विश्व युद्ध की तुलना में अधिक विनाशकारी था एवं इसका विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध ने कुछ ऐसे कारणों को जन्म दिया, जिन्होंने उपनिवेश मुक्ति को प्रोत्साहन दिया।
द्वितीय विश्व युद्ध के उपनिवेशो पर प्रभाव:
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद साम्राज्यवादी शक्तियां कमजोर हो गई थी। परिणामस्वरूप बहुत सारे उपनिवेश स्वतंत्र होने लगे।
- प्रजातंत्र, मानव अधिकार तथा स्वतंत्रता की भावना ने उपनिवेश की जनता को गहरे स्तर पर प्रभावित किया। इसके कारण पहले एशियाई देशों में, आगे फिर अफ्रीकी देशों में भी राष्ट्रीयआन्दोलन में तेजी आई।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद उपनिवेश मुक्ति पर बल दिया जाने लगा। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा भी साम्राज्यवादी शक्तियों से अपील की गई कि वे अपने उपनिवेशों को मुक्त कर दे।
- सोवियत रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भी उपनिवेश मुक्ति को प्रोत्साहन दिया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी यूरोप के साम्राज्यवादी राष्ट्रों पर यह दबाव डाला कि वे अपने उपनिवेशों को मुक्त करें।
- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात तथा उपनिवेश मुक्ति के परिणामस्वरूप ‘तृतीय विश्व’ का उदभवहुआ। ‘तृतीय विश्व’ से तात्पर्य है,वे नव स्वतंत्र एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी राष्ट्र जिन्होंने पश्चिम के पूंजीवादी देशोंतथा समाजवादी देशों से पृथक अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहा। इन राष्ट्रों द्वारा गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की शुरुआत की गई।
निष्कर्ष:
इस प्रकार हम देखते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध का उपनिवेशों के संदर्भ में सकारात्मक प्रभाव पड़ा जिसने ना केवल ‘तृतीय विश्व’ के उदभव का मार्ग प्रशस्त किया, वरन गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में एक प्रतिसंतुलनकारी शक्ति का भी मार्ग प्रशस्त कर दिया।