प्रश्न – रामपुरा, एक सुदूर जनजाति बहुल ज़िला, अत्यधिक पिछड़ेपन और दयनीय निर्धनता से ग्रसित है। कृषि स्थानीय आबादी की आजीविका का प्रमुख साधन है लेकिन बहुत छोटे भूस्वामित्व के कारण यह मुख्यतया निर्वाह-खेती तक सीमित है। औद्योगिक या खनन गतिविधियाँ यहाँ नगण्य हैं। यहाँ तक कि लक्षित कल्याणकारी कार्यक्रमों से भी जनजाति आबादी को अपर्याप्त लाभ हुआ है। इस प्रतिबंधित परिदृश्य में, पारिवारिक आय के अनुपूरण हेतु युवाओं को समीप स्थित राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। अवयस्क लड़कियों की व्यथा यह है कि श्रमिक ठेकेदार उनके माता-पिता को बहला-फुसला कर उन्हें एक नजदीक राज्य में बी.टी. कपास फार्मों में काम करने भेज देते हैं। इन अवयस्क लड़कियों की कोमल अंगुलियाँ कपास चुनने के लिये अधिक उपयुक्त होती हैं। इन फार्मों में रहने और काम करने की अपर्याप्त स्थितियों के कारण अवयस्क लड़कियों के लिये गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो गई हैं। मूल निवास और कपास फार्मों के ज़िलों में स्वयंसेवी संगठन भी निष्प्रभावी लगते हैं और उन्होंने क्षेत्र के बालश्रम और विकास की दोहरी समस्याओं हेतु कोई ठोस प्रयास नहीं किये हैं। आप को रामपुरा का ज़िला कलेक्टर नियुक्त किया जाता है। यहाँ निहित नीतिपरक मुद्दों की पहचान कीजिये। अपने जिले के संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को सुधारने और अवयस्क लड़कियों की स्थितियों में सुधार लाने के लिये आप क्या विशिष्ट कदम उठाएँगे।

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प्रश्न – रामपुरा, एक सुदूर जनजाति बहुल ज़िला, अत्यधिक पिछड़ेपन और दयनीय निर्धनता से ग्रसित है। कृषि स्थानीय आबादी की आजीविका का प्रमुख साधन है लेकिन बहुत छोटे भूस्वामित्व के कारण यह मुख्यतया निर्वाह-खेती तक सीमित है। औद्योगिक या खनन गतिविधियाँ यहाँ नगण्य हैं। यहाँ तक कि लक्षित कल्याणकारी कार्यक्रमों से भी जनजाति आबादी को अपर्याप्त लाभ हुआ है। इस प्रतिबंधित परिदृश्य में, पारिवारिक आय के अनुपूरण हेतु युवाओं को समीप स्थित राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। अवयस्क लड़कियों की व्यथा यह है कि श्रमिक ठेकेदार उनके माता-पिता को बहला-फुसला कर उन्हें एक नजदीक राज्य में बी.टी. कपास फार्मों में काम करने भेज देते हैं। इन अवयस्क लड़कियों की कोमल अंगुलियाँ कपास चुनने के लिये अधिक उपयुक्त होती हैं। इन फार्मों में रहने और काम करने की अपर्याप्त स्थितियों के कारण अवयस्क लड़कियों के लिये गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो गई हैं। मूल निवास और कपास फार्मों के ज़िलों में स्वयंसेवी संगठन भी निष्प्रभावी लगते हैं और उन्होंने क्षेत्र के बालश्रम और विकास की दोहरी समस्याओं हेतु कोई ठोस प्रयास नहीं किये हैं। आप को रामपुरा का ज़िला कलेक्टर नियुक्त किया जाता है। यहाँ निहित नीतिपरक मुद्दों की पहचान कीजिये। अपने जिले के संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को सुधारने और अवयस्क लड़कियों की स्थितियों में सुधार लाने के लिये आप क्या विशिष्ट कदम उठाएँगे।4 July 2021

उत्तर

विषय से संबद्द नैतिक मुद्दे:

  • यह एक नैतिक दुविधा है , जिसमें नाबालिग लड़कियों की दो आधारभूत आवश्यकताओं में संघर्ष है- शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य बनाम जीवित रहने के उनके सामाजिक-आर्थिक अधिकार एवं उनके परिवारों की आजीविका।
  • साथ ही केस स्टडी में BT-कॉटन फार्म में कार्यशील नाबालिग लड़कियों से कार्य करवाने के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है, जो बाल श्रम (रोकथाम) अधिनियम, 2016 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का प्रत्यक्ष उल्लंघन है। इसके तहत नाबालिग बालिकाओं के माता-पिता और BT-कॉटन फार्म के मालिक को दंडित किया जा सकता है।किंतु यह कदम उन परिस्थितियों की अनदेखी कर कानून का अंधा अनुसरण कहलाएगा, जिनमें नाबालिग बालिकाओं से कार्य करवाने जैसा अपराध हुआ है।
  • साथ ही यह केस एवं देश के दूरस्थ कोने में विकास की कमी तथा कल्याणकारी सेवाएँ प्रदान करने में शासन की विफलता पर भी प्रकाश डालता है।

नाबालिग लड़कियों की स्थिति को सुधारने हेतु कदम:

  • बाल श्रम कानून और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के अलावा BT-कॉटन फार्म में काम करना स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक है क्योंकि साँस लेने की प्रक्रिया में सूक्ष्म कपास के रेशे भी उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बना रहता है।
  1. इसलिये BT-कॉटन फार्म में नाबालिग लड़कियों को कार्य करने से रोकने हेतु ज़िला कलेक्टर की प्रत्यक्ष निगरानी की आवश्यकता है।
  2. बच्चों के पोषण और शिक्षा प्रदान करने के लिये उपलब्ध धनराशि को आवंटन किया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा स्थानीय समुदायों और नागरिक समाज की भागीदारी को शामिल कर उन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है, कल्याणकारी पहल में जनशक्ति की कमी से बचना चाहिये।

ज़िले के समग्र आर्थिक परिदृश्य में सुधार हेतु आवश्यक कदम:

  • संबंधित सरकारों, राज्य और केंद्र को उनके तत्काल समर्थन के लिये गंभीरता से विचार करना चाहिये।
  • युवाओं के प्रवासन की समस्या का समाधान करने के लिये इस क्षेत्र में रोज़गार के अवसर पैदा करने की आवश्यकता है।उदाहरण के लिये बीटी कॉटन खेतों में काम करने के लिये युवाओं को उचित प्रशिक्षण के साथ कौशल प्रदान किया जाना चाहिये। इससे लोग बाल श्रम जैसे अपराध में शामिल हुए बिना अपनी आजीविका चला सकेंगे।
  • स्थानीय लोगों को एक सुनिश्चित MSP के साथ सूक्ष्म वन उपज इकट्ठा करने के लिये तैयार किया जा सकता है।

विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, पंचायती राज अधिनियम, 1992 एवं पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार), 1996 अधिनियम का पालन करना चाहिये।

 

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