प्रश्न – भारत में “मानव – वन्य जीव संघर्ष” एक गंभीर समस्या है, जो दोनों के लिए क्षति कारक है, इसके निदान के लिए सरकारी प्रयासों और वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम -1972 मे प्रस्तुत प्रावधानों पर टिप्पणी करें।

Upload Your Answer Down Below 

प्रश्न – भारत में “मानव – वन्य जीव संघर्ष” एक गंभीर समस्या है, जो दोनों के लिए क्षति कारक है, इसके निदान के लिए सरकारी प्रयासों और वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम -1972 मे प्रस्तुत प्रावधानों पर टिप्पणी करें। – 23 June 2021

उत्तर

विकास की भूख बहुमूल्य वन्यजीवों को नष्ट कर रही है। जानवरों के लगातार हो रहे शिकार और मानव एवं  वन्यजीवों के बीच चल रहे संघर्ष ने कई अहम प्रजातियों के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। भारत में मानव वन्यजीव संघर्ष के पीछे बढ़ती मानव आबादी, वनों की कटाई, आवास की कमी और उनकी शिकार प्रजातियों में गिरावट कुछ प्रमुख कारण हैं। प्राकृतिक वन्यजीव क्षेत्र मानव अस्तित्व के साथ अतिच्छादित है, और विभिन्न प्रकार के मानव-वन्यजीव संघर्ष विभिन्न नकारात्मक परिणामों के लिए उत्तरदायी होते हैं। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी लाने के लिये उन कारणों की पड़ताल कर निदान करना ज़रूरी है, जिनकी वज़ह से यह चिंताजनक स्तर पर पहुँच गया है।

समस्या के मूल कारक :

अनियोजित विकास एवं नगरीकरण

  • वन क्षेत्रों में रेखीय अवसंरचनात्मक परियोजनाओं (विद्युत पारेषण लाइन) का विस्तार।
  • वनों एवं वन्य जीव रिजर्व के निकट अनियोजित बस्तियों का निर्माण ।
  • वन्यजीव क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क (राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग) के घनत्व में वृद्धि के कारण वन्यजीव गलियारों का विस्थापन या रुकावट।

निम्नलिखित के लिए वन भूमि का प्रयोग

  • वन भूमि का गैर-वन उद्देश्यों जैसे- खनन, सड़क और विकासात्मक परियोजनाओं आदि के लिए उपयोग करना।
  • वन क्षेत्रों की सीमा तक कृषि का विस्तार करना जिसके कारण वन्यजीवों के पर्यावास क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

जनसंख्या विस्फोट और सिकुड़ते वन क्षेत्रों ने सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी है।

भारत में वन्यजीवों के संरक्षण हेतु सरकारी उपाय:

भारत में वन और वन्य जीवन को संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है। एक केंद्रीय मंत्रालय वन्यजीव संरक्षण से संबंधित नीतियों और योजना के संबंध में दिशा-निर्देश देने का काम करता है और राष्ट्रीय नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य के वन विभागों की होती है।

वैधानिक प्रावधान:

  • वन्य जीवों के संरक्षण हेतु, भारत के संविधान में 42वें संशोधन (1976) अधिनियम के द्वारा दो नए अनुच्छेद 48-। व 51 को जोड़कर वन्य जीवों से संबंधित विषय के समवर्ती सूची में शामिल किया गया।
  • भारत में संरक्षित क्षेत्र (प्रोटेक्टेड एरिया) नेटवर्क में वन राष्ट्रीय पार्क तथा 515 वन्यजीव अभयारण्य, 41 संरक्षित रिजर्व्स तथा चार सामुदायिक रिजर्व्स शामिल हैं।
  • संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन संबंधी जटिल कार्य को अनुभव करते हुए 2002 में राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016)को अपनाया गया, जिसमें वन्यजीवों के संरक्षण के लिये लोगों की भागीदारी तथा उनकी सहायता पर बल दिया गया है।
  • वन्यजीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए पहली बार 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम पारित किया गया था।
  • भारतीय वन अधिनियम 1927 में अस्तित्व में आया, जिसके प्रावधानों के अनुसार वन्यजीवों का शिकार और अवैध वनों की कटाई को दंडनीय अपराध घोषित किया गया था।
  • स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार द्वारा भारतीय वन्यजीव बोर्ड की स्थापना की गई थी।
  • 1956 में, भारतीय वन अधिनियम फिर से पारित किया गया।
  • 1972 में, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित किया गया था। यह एक व्यापक केंद्रीय कानून है, जो विलुप्त वन्यजीवों और अन्य विलुप्त जानवरों के संरक्षण का प्रावधान करता है।
  • वन्यजीवों की चिंताजनक स्थिति में सुधार लाने और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए 1983 में राष्ट्रीय वन्यजीव योजना शुरू की गई थी।

निश्चित रूप से वन्यजीव संरक्षण न केवल बहुत महत्वपूर्ण है, बल्कि एक पर्यावरणीय अनिवार्यता भी है, लेकिन यह भी सच है कि घटते वन वन्यजीवों को पूर्ण आवास प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। एक नर बाघ को स्वतंत्र विचरण के लिए 60-100 वर्ग किमी के क्षेत्र की आवश्यकता होती है। हाथियों को प्रतिदिन कम से कम 10-20 किमी की यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन जैसे-जैसे जंगल कम होते जाते हैं, वे भोजन और पानी की तलाश में सीमा से बाहर निकल जाते हैं। जब तक जंगलों की कटाई जारी रहेगी, मानव-वन्यजीव संघर्ष से बचने के बजाय बचाव के उपाय करना संभव होगा।वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत मानव और अन्य जीवित प्राणियों को जंगली जानवरों के हमले से बचाने के लिए मुआवजा योजना शुरू करना चाहिए ।

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course