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प्रश्न – भारत में परिवहन और विपणन कृषि को कैसे प्रभावित करता है? इससे जुड़ी समस्याएं क्या हैं? स्पष्ट करें| – 14 May
उत्तर:
परिवहन और विपणन:
हरित क्रांति के बाद से, भारत ने खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके बावजूद, कृषि आपूर्ति श्रृंखलाओं में बुनियादी ढांचे की कमी के कारण किसानों की आय में कोई व्यापक सुधार नहीं हो पाया है। कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचाने के दौरान भी कई मुश्किलें।यह भारत में कृषि विपणन कानूनों की प्रकृति के साथ संयुक्त रूप से कृषि उत्पादों के विपणन को उनके उत्पादन की तुलना में अधिक बोझिल बनाता है।
कृषि उपज के परिवहन से जुड़े कई मुद्दे और बाधाएं हैं। यदि परिवहन सेवाएं असामान्य, खराब गुणवत्ता या महंगी हैं, तो फसल बिक्री के समय कृषको को अलाभकारी समझौता करना पड़ेगा| भारत में कृषि उपज के परिवहन में मुख्य बाधाएं अपर्याप्त रसद कनेक्टिविटी, तथा किसानों को बाजारों में उनकी फसल का समय पर वितरण सुनिश्चित करने वाली समर्थन और सुविधाएं हैं | ताजे खराब होने वाले उत्पाद, जिन्हें उत्पादन केंद्रों में संग्रहीत नहीं किया जा सकता है, और तुरंत परिवहन की आवश्यकता होती है, मोबाइल कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधा से वंचित हैं . यद्धपि कम समय में अधिक दूरी तय करने के कुछ विकल्प अवश्य उपलब्ध हैं, किन्तु लागत प्रभावी न होने के कारण उपयोगी सिद्ध नहीं होते | हालांकि, ‘किसान रेल’ सेवा, ‘कृषि उड़ान’ योजना, अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर, कृषि रथ ऐप इन बाधाओं से निपटने कि दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
विपणन में कृषि वस्तुओं की हैंडलिंग, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण, थोक बिक्री, खुदरा बिक्री और निर्यात के साथ-साथ सहायक सेवाएं जैसे बाजार की जानकारी, ग्रेड और मानकों की स्थापना, कमोडिटी व्यापार, वित्तपोषण और मूल्य जोखिम प्रबंधन जैसे विषय सम्मिलित होते हैं | विपणन के संबंध में, प्रत्यक्ष विपणन, बेहतर रिटर्न का आश्वासन, ग्रामीण प्राथमिक बाजार पर सीमा से अधिक निर्भरता, खराब बाजार बुनियादी ढांचा, बिचौलिया संस्कृति, अनौपचारिक व्यापार करने वाले नेटवर्क, और प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, एग्रीगेटर्स, बड़े खुदरा विक्रेताओं, तथा निर्यातकों के साथ जुड़ने के लिए एक संस्थागत तंत्र की अनुपस्थिति एक बड़ी समस्या है| नए कृषि कानूनों, गोदाम आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल, ई-एनएएम पोर्टल के साथ इन सीमाओं से पार पाया जा सकता है।
कुशल कृषि विपणन के लिए आवश्यक सुविधाएं:
किसानों के लिए कुछ बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता होती है। इसमें शामिल है-
- उचित भंडारण की सुविधा।
- सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त होने तक प्रतीक्षा करने की धारण क्षमता।
- पर्याप्त और सस्ती परिवहन सुविधाएं ताकि किसान केवल अपने गांव में इसे निपटाने के बजाय मंडी तक पहुंच सके।
- बाजार भाव की स्पष्ट एवं समय पर जानकारी ताकि उसके साथ ठगी न हो।
- बाजारों को व्यवस्थित और विनियमित किया, ताकि दलालों और आढ़तियों द्वारा उसको ठगा न किया जाए। इसके साथ ही बिचौलियों की यथासंभव छोटी संख्या।
आगे की राह:
- कृषि विपणन में एफपीओ (FPO) को बढ़ावा दिया जाना चहिये साथ ही किसान उत्पादक संगठनों / कंपनियों को सदस्य किसानों की उपज को सीधे बड़े खरीदारों को बेचने के लिये प्रोत्साहित भी करना चाहिये।
- कृषि-बाज़ार को एकीकृत करना होगा| सरकार ने जो पैन-इंडिया ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से सभी विनियमित थोक उत्पादन बाज़ारों को जोड़ने के लिये इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (eNAM) का निर्माण कर सही दिशा में कदम उठाया है, उसे और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। इसके अलावा सरकार द्वारा मिनी बाजार ग्राम (ग्रामीण ग्रामीण कृषि बाजार) के निर्माण से किसान और बाजार के बीच की दूरी कम होगी।
- कृषि बाजारों में विसंगतियों को दूर करने के लिए सरकार ने तीन कानून पारित किए हैं। हालांकि, इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, सरकार को किसान संघों को विश्वास में लेते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को कृषि विपणन के लिए एक बाजार विकसित किए बिना प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए यह सही समय है जब कृषि उत्पादन से लेकर कृषि विपणन पर ध्यान देना चाहिए।