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प्रश्न – भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में असहयोग आन्दोलन के योगदान का परीक्षण कीजिये। – 28 June 2021
उत्तर –
गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन शुरू करने के पीछे सबसे प्रमुख कारण था –अंग्रेजी सरकार की अस्पष्ट नीतियाँ। सरकार के सुधारों से जनता असंतुष्ट थी, सर्वत्र आर्थिक संकट छाया हुआ था तथा महामारी और अकाल फैला हुआ था। ऐसे समय में अंग्रेजी सरकार द्वारा 1919 को रोलेट एक्ट प्रस्तुत किया गया जो भारतीयों की नज़र में एक काला कानून था। रोलेट समिति की रिपोर्ट के विरुद्ध हर जगह विरोध हो रहे थे। इस एक्ट के विरोध में पूरे देश में हड़ताल करने का निश्चय किया गया। जब भारतीय विधान सभा में उस विधेयक पर चर्चा हो रही थी, गाँधीजी वहाँ दर्शक के रूप में उपस्थित थे।
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में असहयोग आन्दोलन का योगदान:
- असहयोग आन्दोलन ने देश की जनता को आधुनिक राजनीति से परिचय कराया और उसमें आजादी की इच्छा जगायी।
- इसने यह दिखाया कि भारत की दीन-हीन जनता भी आधुनिक राष्ट्रवादी राजनीति की वाहक हो सकती है।
- यह पहला अवसर था जब राष्ट्रीयता ने गांवों, कस्बों, स्कूलों आदि सबको अपने प्रभाव में ले लिया।
- हालाँकि इसकी उपलब्धियाँ कम थीं, लेकिन जो कुछ हासिल हुआ, वह आगामी संघर्ष की पृष्ठभूमि तैयार करने में सहायक हुआ।
- बड़े पैमाने पर मुसलमानों की भागीदारी और सांप्रदायिक एकता इस आन्दोलन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
- मुसलमानों की भागीदारी ने ही इस आन्दोलन को जन आन्दोलन का स्वरूप दिया।
- असहयोग आन्दालेन का एक प्रमुख परिणाम यह हुआ कि भारतीय जनता के मन से भय की भावना समाप्त हो गयी।
निष्कर्ष:
यद्दपि असहयोग आन्दोलन स्थगित हो गया था, फिर भी इसका महत्व कम नहीं था। यह विश्व इतिहास में पहला अहिंसात्मक विद्रोह था जो समाप्त होने के बाद भी किसी-न-किसी रूप में चलता ही रहा। इसे प्रथम जन-आन्दोलन की संज्ञा दिगई। अपने राजनैतिक अधिकारों के प्रति जनता में जागरूकता की भावना इसी असहयोग आन्दोलन के परिणामस्वरूप आई। इसने भारत में स्वंत्रता की भावना को व्यापक रूप में प्रज्ज्वलित किया।