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प्रश्न – भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता पर चर्चा करें। क्या आप सहमत हैं कि नवीकरणीय ऊर्जा ही भविष्य का एकमात्र विकल्प हो सकती है। विश्लेषण करें। – 2 June 2021
उत्तर –
विकास की प्रतिस्पर्धा में शामिल अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक अग्रणी अर्थव्यवस्था है। इस अग्रणी अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की उच्च मांग एक प्रमुख प्राथमिक आवश्यकता है। ऊर्जा की उच्च मांग की पूर्ति के लिये परमाणु ऊर्जा (परंपरागत ऊर्जा स्रोत) और नवीकरणीय ऊर्जा का विकल्प उपलब्ध है। किसी परमाणु के नाभिक की ऊर्जा को ‘परमाणु ऊर्जा’ कहा जाता है, तो वहीं प्राकृतिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे- सूर्य, पवन, जल, भूगर्भ और पादपों से प्राप्त ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा की संज्ञा दी जाती है। नवीकरणीय ऊर्जा का विश्लेषण करते हुए हम यह पाते हैं कि यह ऊर्जा का ऐसा स्थायी स्रोत है जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिये हानिकारक नहीं है। वर्तमान में विश्व की लगातार बढ़ रही जनसंख्या के कारण ईंधन की लागत में भी वृद्धि हो रही है और इसके समानांतर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों में भी निरंतर कमी देखी जा रही है। ऐसे में सभी लोग ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजने में जुट गए हैं। वस्तुतः जहाँ एक ओर भविष्य की अपार संभावनाओं से युक्त नवीकरणीय ऊर्जा आज की आवश्यकता बनती जा रही है, साथ ही परमाणु ऊर्जा से हुई आपदाओं के उदाहरण भी हमारे सामने आते रहते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा
- यह ऐसी ऊर्जा है जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है, इसमें सौर तापीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार-भाटा , जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों (जो कि दुनिया के काफी सीमित क्षेत्र में मौजूद हैं) की अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी हो उपलब्ध हो सकते हैं।
- ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।
इसमें निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:
- वायु ऊर्जा
- सौर ऊर्जा
- हाइड्रोपावर
- बायोमास
- जियोथर्मल
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति
- स्वच्छ पृथ्वी के प्रति ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए भारत ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2030 तक बिजली उत्पादन की हमारी 40% स्थापित क्षमता ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों पर आधारित होगी।
- साथ ही यह भी निर्धारित किया गया है कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, बायो-पावर से 10 गीगावाट और छोटी पनबिजली परियोजनाओं से 5 गीगावाट क्षमता प्राप्त करना शामिल है।
- इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के साथ ही भारत विश्व के सबसे बड़े स्वच्छ ऊर्जा उत्पादकों की कतार में शामिल हो जाएगा। यहाँ तक कि वह कई विकसित देशों से भी आगे निकल जाएगा।
- वर्ष 2018 में देश की कुल स्थापित क्षमता में तापीय ऊर्जा की 63.84%, नाभिकीय ऊर्जा की 1.95%, पनबिजली की 13.09% और नवीकरणीय ऊर्जा की 21.12% हिस्सेदारी थी।
नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता क्यों?
- यद्यपि तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला प्रकृति में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, परंतु जिस खतरनाक दर से इनका उपभोग किया जा रहा है उससे यह स्पष्ट है कि एक दिन वे अवश्य ही खत्म हो जाएंगे।
- इसके अतिरिक्त इन्हें अल्पकाल में पुनः प्राप्त करना भी संभव नहीं है, क्योंकि इस प्रक्रिया में लाखों वर्षों से भी अधिक समय लगता है।
- जीवाश्म ईंधन से ग्रीनहाउस गैसों जैसे- मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड आदि का उत्सर्जन होता है, जो ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने में सक्षम हैं।
- जीवाश्म ईंधन के निष्कर्षण ने कुछ क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन को खतरे में डाल दिया है। इसके अलावा कोयला खनन ने कई खदान श्रमिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया है।
- वर्तमान में जीवाश्म ईंधन का निष्कर्षण भी बहुत महँगी प्रक्रिया हो गई, जिसके कारण उनकी कीमतों पर काफी असर पड़ा है।
- जीवाश्म ईंधन का परिवहन आत्यधिक जोखिमपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इनके रिसाव से गंभीर खतरे पैदा हो सकते हैं।
चुनौतियाँ
- जीवाश्म ईंधन की अपेक्षा नवीकरणीय संसाधनों से अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जीवाश्म ईंधन से आज भी बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन हो रहा है, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि नवीकरणीय ऊर्जा अभी भी उतनी सक्षम नहीं है कि वह पूरे देश की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति कर सके।
- नवीकरणीय संसाधनों से ऊर्जा उत्पादन पूर्णतः मौसम और जलवायु पर निर्भर करता है तथा यदि मौसम ऊर्जा उत्पादन के अनुकूल नहीं होगा तो हम आवश्यकतानुसार ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर पाने मे शक्षम नहीं होंगे ।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ बाज़ार में अभी भी अति नवीन प्रकार की हैं जिसके कारण उनके पास आवश्यक दक्षता की कमी है।