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प्रश्न – चरम मौसमी घटनाओं के प्रबंधन के लिए भारत का ‘शून्य-हताहत’ दृष्टिकोण, जीवन और संसाधनों के नुकसान को कम करने में एक प्रमुख योगदानकर्ता रहा है। जांच करें। – 5 May
उत्तर –
मानसूनी जलवायु चरित्र और लंबी तटरेखा के कारण भारत चरम मौसमी घटनाओ के लिए सुभेद्य है। इसके पूर्वी तट पर बंगाल की खाड़ी , चक्रवातों के निर्माण के लिए अत्यधिक अनुकूल है। इन चरम घटनाओ जैसे चक्रवात और परिणाम स्वरूप तूफ़ान से जान और माल की हानि को कम करने के लिए भारत ने “शून्य हताहत” दृष्टिकोण अपनाया है। हाल में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने , ओडिसा में “फानी” चक्रवात से निपटने में इस दृष्टिकोण की सराहना की है।
भारत का शून्य हताहत दृष्टिकोण चरम मौसमी घटनाओं के प्रबंधन में निम्न कारणों से सफल रहा है , क्यों की-
- प्रभावी शमन, तैयारी , प्रतिक्रिया और पुन: प्राप्ति प्रणाली जो आपदा जोखिम में कमी के लिए सेंदाई फ्रेमवर्क के दिशा निर्देशों के अनुरूप है।
- भारतीय मौसम विज्ञानं विभाग की पूर्व चेतावनी प्रणाली की सटीकता, चक्रवात के गठन का सही समय, उसके लैंडफॉल से राज्य को आपदा के लिए तैयार होने और जीवन व सम्पत्तियों के नुकसान को कम करने में सक्षम बनता है।
- आपदा लचनशील राहत ढांचा , जैसे की चक्रवात आश्रय स्थल और त्वरित आपदा प्रति-उत्तर बल , बचाव अभियान और रहत वितरण के लिए स्थापित किया गया है। चक्रवात फेलिन (2013), हुदहुद (2014 ), और फानी (2019) के दौरान इनकी प्रभावशीलता देखी गयी है।
- सरकारी संस्थाओ , स्थानीय सामुदायिक समूहों और स्वयंसेवक समूहों के बीच प्रभावी समन्वय।
- राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना की प्रभावी भूमिका के कारण आकाशीय बिजली से “शुन्य मृत्यु ” प्राप्त करने में मदद मिली है।
- भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंदई फ्रेमवर्क (2015-2030) के आनुसार आफ्नै आपदा क्षति मे कमी लाने की क्षमता को उन्नत किया है, जो की 2015 मे UN वर्ल्ड कानफ्रेंन्स मे आपनया गया था ।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जो भारत में आपदा प्रबंधन के लिए सर्वोच्च निकाय है, प्राकृतिक – मानव जनित आपदा के दौरान बेहतर शमन, तैयारी , प्रतिक्रिया और पुन:प्राप्ति के लिए क्षमता निर्माण उपायों की दिशा में प्रभावी रूप से काम कर रहा है।
भविष्य में एक सुरक्षित और आपदा के लिए लोचशील भारत का निर्माण करने के लिये इसके सभी हितधारकों में सक्रिय दिर्ष्टिकोण की आवश्यकता है । सरकार द्वारा प्रारम्भ किये गए उपायों के साथ, स्थानीय सार्वजानिक भागीदारी भी आति आवश्यक है। इसके लिए प्रभावी और उपयुक्त जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत है। साथ ही GIS , AI और उन्नत मौसम पूर्वानुमान प्रणाली जैसी आधुनिक टेक्नालजी को चरम मौसमी घटनाओ के उचित प्रबंधन मे सम्मिलित करना चाहिये ।