प्रश्न – कार्बन संचय में जैविक खेती कैसे मदद करती है? भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का परीक्षण करें.

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प्रश्न – कार्बन संचय में जैविक खेती कैसे मदद करती है? भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का परीक्षण करें. – 28 April           

उत्तर

इस तथ्य से हम सब सुपरिचित हैं कि वायुमंडल में ‘कार्बनडाईऑक्साइड’ की मात्रा क्रमशः बढ़ती जा रही है। ऐसे में CO2 को वायुमंडल की बजाय अन्यत्र कहीं एकत्रित करने का विचार अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है।  ध्यान देने योग्य है कि हमारी पृथ्वी इस विचार को मूर्त रूप देने में अहम् साबित हो सकती है। वास्तव में, पृथ्वी के अंदर CO2 का भंडारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है।  CO2 को वायुमंडल में जाने से रोककर, पृथ्वी के अंदर पहुँचाने की इस विधि को कार्बन सिक्वेस्टरिंग या कार्बन संचय कहते हैं।  एक ओर कार्बन सिक्वेस्टरिंग जहाँ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने में प्रभावकारी है, यह मृदा में ऑर्गेनिक कार्बन यानी ‘मृदा ऑर्गेनिक कार्बन’ द्वारा कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।

‘मृदा ऑर्गेनिक कार्बन’ (एसओसी):

  • एसओसी गिरे हुए पौधे, पत्तियाँ, मरे हुए जीव आदि से मिलकर बना होता है जो कि मृदा में पहले मुख्यतः पहले 1 मीटर तक पाया जाता है।
  • गौरतलब है कि मृदा में लगभग 2,300 गीगाटन ऑर्गेनिक कार्बन मौजूद है और यही कारण है कि यह सबसे बड़ा स्थलीय कार्बन पूल बनाता हैं।

एसओसी में वृद्धि के उपाय:

  • दरअसल, ऐसी कई शर्तें और प्रक्रियाएँ होती हैं जिन पर कि एसओसी के परिमाण में होने वाला बदलाव निर्भर करता है, जैसे- तापमान, मृदा प्रबंधन,वर्षा, वनस्पति, और लैंड यूज़ पैटर्न।
  • अतः एसओसी में वृद्धि इन कारकों में संतुलन बनाए रखने वाली स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने पर निर्भर करता है। एसओसी में वृद्धि के उपाय हैं:
  1. मृदा क्षरण को कम करना
  2. वाटर हार्वेस्टिंग अपनाना
  3. सीधे जोत आधारित कृषि पद्धति का कम-से-कम प्रयोग
  4. पोषक प्रबंधन की व्यवस्था करना
  5. कवर-क्रॉप्स का उपयोग
  6. गोबर तथा अपशिष्टों का प्रयोग करना

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल:

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)

  1. यह 2015-16 से केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में शुरू की गई पहली व्यापक योजना है।
  2. यह योजना 90:10 अनुपात के साथ 8 उत्तर-पूर्वीराज्यों और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के 3 पहाड़ी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में 100% और शेष राज्यों में 60:40 के वित्त पोषण के साथ लागू की गई है।
  3. किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर तक लाभ उठा सकता है, और सहायता की सीमा 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है, जिसमें से 62% अर्थात 31,000 रुपये किसान को जैविक रूपांतरण के लिए प्रोत्साहन के रूप में दिए जाते हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन:

  1. योजना का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं के साथ उत्पादकों को जोड़ने के लिए मूल्य श्रृंखला मोड में प्रमाणित जैविक उत्पादन का विकास करना है और संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण, विपणन और ब्रांड निर्माण के लिए इनपुट, बीज, प्रमाणीकरण और सुविधाओं के निर्माण से शुरू होने वाली संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के विकास का समर्थन करना है।
  2. ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग, कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन की तारीफ करती है क्योंकि यह ऑर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र के साथ कृत्रिम फ़र्टिलाइज़र के इस्तेमाल के बिना, ऑर्गेनिक मल्चिंग एक स्थायी विकल्प प्रदान करता है। ऑर्गेनिक मल्चिंग से तात्पर्य किसी भी कार्बनिक पदार्थ से मिट्टी को ढंकना है जैसे कि मिट्टी की सतह पर खाद या खेत की जुताई की खाद लगाना और उसके बाद सूखी कार्बनिक पदार्थों की एक परत को जोड़ना।
  3. इसलिए, जैविक खेती मिट्टी की उर्वरता को बेहतर बनाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है, जो वायुमंडलीय CO2 से कार्बन के पृथक्करण को सह-लाभान्वित करता है।

सरकारों को 2015 के जलवायु समझौते के अंतर्गत ग्रीनहाउस गैसों और मुक्त कार्बन को कम करने हेतु, एक प्रभावी रणनीति के रूप में, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘कार्बनिक कृषि’ को स्वीकार करना चाहिए। उन्हें अनुसंधान और विस्तार सेवाओं के माध्यम से जैविक कृषि को बढ़ावा देकर किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। 

 

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