प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020
कुछ समय पूर्व संसद में प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून’ (Major Port Trusts Act), 1963 की जगह पर एक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 प्रस्तुत किया गया था जिसे हाल ही में राज्य सभा में, 44 मतों के मुकाबले 84 मतों से पारितकर दिया गया है।
इस विधेयक का उद्देश्य बंदरगाहों को विश्व-स्तरीय बनाना और बंदरगाह अधिकारियों के लिए निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करना है।
सर्वप्रथम इसविधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था।
उद्देश्य:
- निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवर रवैये का समावेश करना।
- तीव्र और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों एवं और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभान्वित करना।
- सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन मॉडल कालैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल (landlord port model) के रूप में पुनर्विन्यास करना।
बृहद पत्तन प्राधिकरण विधेयक में दिए गये प्रस्ताव:
- स्तावित कानून का उद्देश्य पत्तनों की समग्र कार्यकुशलता में बढ़ोतरी करना है।
- अब बड़े-बड़े बन्दरगाह पत्तन से जुड़ी विभिन्न सेवाओं के लिए टैरिफ निर्धारित कर सकेंगे तथा साथ ही उनके साथ काम करने को इच्छुक निजी निर्माताओं के लिए शर्तें रख सकेंगे।
- प्रत्येक बंदरगाह का प्रशासन एक पत्तन प्राधिकरण करेगा जिसे विभिन्न पत्तन सेवाओं के लिए टैरिफ निश्चित करने की शक्ति होगी।
- विधेयक के अनुसार पत्तन प्राधिकरण के निर्णयों की समीक्षा के लिए सर्वोच्च स्तर पर एक न्याय निर्णय करने वाले बोर्ड का गठन होगा जिसके पास पत्तन प्राधिकरणों तथा PPP ऑपरेटरों के बीच उठने वाले विवादों को सुलझाने की शक्ति होगी।
- प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है।
- विधेयक में प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह के लिए एक ‘प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड’ के गठन का प्रस्ताव किया गया है।
- इसके आलावा विधेयक में, एक न्यायिक निर्णय करने वाला(Adjudicatory) बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो 1963 अधिनियम के तहत मौजूदा टैरिफ प्राधिकरण को प्रतिस्थापित करेगा।
चुनौतियाँ:
यह विधेयक, शिपिंग और पोर्ट्स क्षेत्र के निजीकरण को प्रोत्साहित कर सकता है।
न्यायनिर्णायक बोर्ड के अध्यक्ष को नियुक्त करने वाली चयन समिति के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है।
भारत के बड़े बंदरगाह कौन से हैं?
वर्तमान में भारत में ये 12 बड़े बंदरगाह हैं – दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगाँव, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित)।
स्रोत – द हिन्दू