प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
हाल ही में प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 7 बड़े क्षेत्र अध्ययन किए जा रहे हैं।
ये क्षेत्र अध्ययन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) कर रही है । NPC, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के तहत एक स्वायत्त संगठन है ।
PMMSY को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 2020 में शुरू किया था। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य क्षेत्रक के संधारणीय और जिम्मेदार विकास के माध्यम से देश में नीली क्रांति (Blue Revolution) लाना है।
इस योजना का क्रियान्वयन वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक की 5 वर्षों की अवधि के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जा रहा है ।
PMMSY के दो घटक हैं: केंद्रीय क्षेत्रक योजना (CS) और केंद्र प्रायोजित योजना (CSS)।
PMMSY के निम्नलिखित लक्ष्य हैं:
- देश में कुल मत्स्य उत्पादन को बढ़ाकर 22 मिलियन मीट्रिक टन करना ।
- कृषि सकल मूल्य वर्धित (GVA) में मत्स्य पालन क्षेत्रक के GVA के योगदान को बढ़ाकर 9 प्रतिशत करना ।
- मत्स्य निर्यात से आय को दोगुना करके लगभग 1 लाख करोड़ रुपये करना है।
- पोस्ट-हार्वेस्टिंग के बाद होने वाले नुकसान को लगभग 10% तक कम करना।
- मछुआरों और मत्स्य-पालकों की आय को दोगुना करना ।
- भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है। इसके अलावा, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि करने वाला देश है ।
मत्स्य क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई अन्य पहलें:
- मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) का गठन किया गया है।
- मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई है आदि ।
प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के उद्देश्य –
- मत्स्य पालन क्षमता का दोहन करना;
- मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण, उत्पादन के बाद का प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार करना;
- मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना;
- मजबूत मात्स्यिकी प्रबंधन और विनियामक ढांचे का निर्माण करना;
- मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय को दोगुना करना तथा रोजगार के अवसर पैदा करना ;
स्रोत – लाइव मिंट