हाल ही में प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में सुधार के लिए सरकार ने कार्यदल का गठन किया है।
विदित हो कि हाल ही में विभिन्न राज्यों द्वारा इस योजना को छोड़ा जा रहा है। इसलिए, सरकार ने इस योजना के संबंध में संधारणीय, वित्तीय और परिचालन मॉडल का सुझाव देने के लिए एक कार्यदल का गठन किया है।
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना में निम्नलिखित कार्यान्वयन संबंधी प्रमुख चुनौतियों विद्यमान हैं जिनका सामना का सामना PMFBYको करना पड़ रहा है–
- विभिन्न राज्य PMFBY छोड़ने का निर्णय ले रहे हैं, क्योंकि केंद्र द्वारा अपनी सब्सिडी हिस्सेदारी को सीमित करने के बाद राज्यों को प्रीमियम का अधिक हिस्सा प्रदान करना होगा।
- इससे पूर्व, केंद्र ने सिंचित क्षेत्रों में प्रीमियम सब्सिडी के अपने हिस्से को 50% से घटाकर 25% और असिंचित क्षेत्रों के लिए 30% कर दिया था।
- प्रीमियम बाजार का दृढ़ीकरण और निविदाओं में पर्याप्त भागीदारी का अभाव ।
- जैसे-जैसे किसानों की संख्या घटेगी (केंद्र द्वारा योजना को स्वैच्छिक बनाने के कारण), प्रीमियम की दरों में वृद्धि होगी और राज्य सरकारों को इस अंतर को भरना होगा। बीमाकर्ता द्वारा किसानों के दावों को कम स्वीकृति प्रदान की जाती है और वे दावों के निपटान में देरी करते हैं।
PMFBY के द्वारा निम्नलिखित प्रीमियम दर पर गैर-निवार्य प्राकृतिक विपदा के विरुद्ध बुवाई पूर्व से लेकर कटाई के बाद की अवधि तक स्वैच्छिक व्यापक फसल बीमा प्रदान किया जाता है:
- खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत।
- रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत।
- बागवानी और वाणिज्यिक फसलों के लिए 5 प्रतिशत ।
अपेक्षित लाभार्थीः अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित फसल उगाने वाले बटाईदार और काश्तकार किसानों सहित सभी किसान । बीमा की इकाई को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित जाता है। पहले यह योजना ऋणी किसानों के लिए अनिवार्य थी।
स्रोत – पी आई बी