प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) बाधाओं से ग्रस्त
हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) बाधाओं से ग्रस्त है, और इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है ।
PMFBY एक व्यापक फसल बीमा योजना है। इसे किसानों की कृषि संबंधी अनिश्चितताओं का निवारण करने हेतु आरंभ किया गया था।
इस योजना को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप किसानों में असंतोष, राज्य सरकारों द्वारा योजना से बाहर निकलना और बीमाकंपनियों को ब्याज की क्षति आदि समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
PMFBY के कार्यान्वयन में चुनौतियां
किसानों को भुगतान में विलंब
बीमा कंपनियां किसानों को समय पर भुगतान नहीं करती हैं। साथ ही, राज्य सरकारें भी समय पर अपने हिस्से का प्रीमियम जारी नहीं करती हैं। बीमा कंपनियां एकत्र किए गए प्रीमियम की तुलना में किसानों को कम प्रतिपूर्ति प्रदान करती हैं।
प्रशासनिक चुनौतियां
भले ही आगामी सीजन की फसल का समय आ जाए, परंतु राज्यों द्वारा विगत सीजन के उपज के आंकड़ों को समय पर अंतिम रूप प्रदान नहीं किया जाता है। ज्ञातव्य है कि ये आंकड़ें ही किसानों के दावों का समर्थन करने वाले प्रमुख मानदंड हैं।
भूमि का सही रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होना
उत्तर-पूर्व के राज्यों को बीमा कंपनियों द्वारा अभिरुचि का अभाव और प्रीमियम के अपने हिस्से का भुगतान करने के लिए राज्य के बजटीय संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
तकनीकी बाधाएं:
वर्षा और अन्य मौसम की स्थिति का विशुद्ध रूप से आकलन तथा भविष्यवाणी करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
ध्यातव्य है कि PMFBY के तहत, किसानों द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम रबी फसलों के लिए 1.5%, खरीफ फसलों के लिए 2% और नकदी फसलों के लिए 5% निर्धारित किया गया है।
इससे पूर्व, वर्ष 2020 तक शेष प्रीमियम को केंद्र और राज्यों के मध्य समान रूप से विभाजित किया जाता था। वर्तमान में, केंद्र सरकार का योगदान असिंचित फसलों के लिए 30% और सिंचित फसलों के लिए 25% है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए केंद्र और राज्य के मध्य सब्सिडी का हिस्सा 90:10 है।
स्रोत – द हिन्दू