प्रधान मंत्री ने वैश्विक समुद्री सुरक्षा के लिए दिए 5 सिद्धांत
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की परिचर्चा में, प्रधान मंत्री ने वैश्विक समुद्री सुरक्षा के लिए 5 सिद्धांतों को सूचीबद्ध किया है।
हाल ही में प्रधान मंत्री द्वारा समुद्री सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय परिचर्चा की अध्यक्षता की गई। इस परिचर्चाका विषय “समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता’ (Enhancing Maritime Security – A Case for International Cooperation) था। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी अध्यक्षता की अवधि के दौरान भारत द्वारा आयोजित किए जा रहे तीन प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।
यह भारत द्वारा कार्यान्वित पहल, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (सागर) (Security AndGrowth for All in the Region: SAGAR) के अनुरूप है।
पांच सिद्धांत
- वैध समुद्री व्यापार के लिए बाधाओं का निवारण करना : महासागर विश्व की साझी विरासत हैं तथा आधुनिक समुद्री मार्ग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखाएं हैं।
- समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण तरीकों से और अंतर्राष्ट्रीय विधियों के आधार पर समाधान करना: राष्ट्रों को समुद्री विधि पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UN Convention on the Law of the Sea: UNCLOS) के आधार पर समुद्री विवादों का निपटान करना चाहिए। उदाहरण के लिए भारत ने इसके आधार पर ही बांग्लादेश के साथ अपने विवादों का समाधान किया है।
- प्राकृतिक आपदाओं व गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा उत्पन्न सामुद्रिक खतरों का संयुक्त होकर सामना करना : वैश्विक स्तर पर, समुद्री यातायात की मात्रा में गिरावट के बावजूद, वर्ष 2020 की प्रथम छमाही के दौरान समुद्री जलदस्युता और सशस्त्र डकैती के कृत्यों में 20% की वृद्धि हुई है। अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्तराष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention against Transnational Organized Crime) (2000) को लागू करनेकी आवश्यकता है।
- समुद्री पर्यावरण एवं संसाधनों का संरक्षण : महासागर, तटीय क्षेत्रों में अधिवासित निर्धन समुदायों की न केवल आजीविका अपितु उनके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
- उत्तरदायी समुद्री संपर्क को प्रोत्साहित करना: वर्तमान में, हमारे पास इसके लिए इंटरनेशनल शिप एंड पोर्ट फैसिलिटी सिक्योरिटी (ISPS) कोड उपलब्ध है।
स्रोत – द हिन्दू