प्रधान मंत्री ने लुंबिनी की यात्रा
हाल ही में भारत-नेपाल संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री ने लुंबिनी की यात्रा की है ।
भारतीय प्रधान मंत्री ने भारत और नेपाल की साझी आस्था एवं परंपराओं पर प्रकाश डाला। साथ ही, उन्होंने उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत-नेपाल मित्रता को और अधिक मजबूत बनाने का आह्वान किया।
प्रधान मंत्री की लुंबिनी यात्रा की मुख्य विशेषताएं उन्होंने भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति एवं विरासत केंद्र की आधारशिला रखी। इसकी स्थापना भारत स्थित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) कर रहा है।
दोनों देश लुंबिनी (भगवान बुद्ध की जन्मस्थली) और कुशीनगर (भगवान बुद्ध का परिनिर्वाण स्थल)के बीच सिस्टर सिटी संबंध स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।
लुंबिनी का महत्व
- यह एक यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर स्थल है।
- यहां से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 15वीं शताब्दी ईस्वी तक के बौद्ध विहारों (मठों) और स्तूपों (स्मारक स्थली) के पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं।
यहां निम्नलिखित संरचनाएं भी प्राप्त हुई हैं:
- शाक्य तालाब,
- माया देवी मंदिर के भीतर क्रॉस-वॉल सिस्टम में बनी ईंट की संरचनाएं, तथा
- बलुआ पत्थर से बना अशोक स्तंभ, जिस पर ब्राह्मी लिपि में पाली भाषा में उत्कीर्ण अभिलेख है।
भारत के लिए बौद्ध धर्म का वैश्विक महत्व–
भारत बौद्ध धर्म और उसके उप-संप्रदायों की जन्म स्थली है।
गौतम बुद्ध से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थल भारत में स्थित हैं।
- बोधगया (जहां बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई),
- सारनाथ (जहां बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया),
- कुशीनगर (बुद्ध का महापरिनिर्वाण यानी मृत्यु स्थल) आदि।
विश्व भर में बौद्ध धर्म के 50 करोड़ से अधिक अनुयायी हैं। बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक वैधता भारत के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक सॉफ्ट पावर के रूप में कार्य करती है।
सॉफ्ट पावर दूसरों को प्रभावित करने की वह क्षमता है, जिसके तहत कोई व्यक्ति या संस्था दबाव या भुगतान की बजाय आकर्षण के माध्यम से अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।
यह भारतीय कूटनीति के लिए प्रभावन क्षमता के रूप में कार्य करती है। यह विशेष रूप से पूर्वी एशिया के लिए महत्वपूर्ण है। यहां इसके माध्यम से “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” के तहत प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
स्रोत –द हिन्दू