प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI) योजना

प्रधानमंत्री वाईफाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI) योजना

हाल ही में रेलटेल ने अपनी वाई-फाई सेवाओं के लिए प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI) योजना आधारित पहुंच की शुरुआत की है।

रेलटेल ने 22 राज्यों के 100 रेलवे स्टेशनों पर अपनी सार्वजनिक वाई-फाई सेवाओं के लिए PM-WANI योजना आधारित पहुंच शुरू की है। रेलटेल, रेल मंत्रालय के तहत एक मिनी रत्न सार्वजनिक उपक्रम है।

वाई-फाई नेटवर्क को रेलटेल और C-DOT द्वारा निर्मित मोबाइल ऐप “Wi-DOT” के माध्यम से भी एक्सेस किया जा सकता है।

PM-WANI की शुरुआत दूरसंचार विभाग ने की है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट प्रदाताओं के माध्यम से ब्रॉडबैंड सुविधा प्रदान करना है। इससे देश में वायरलेस इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

PM-WANI प्रणाली को निम्नलिखित अलगअलग समूहों द्वारा संचालित किया जाएगाः

  • पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO): यह केवल PM-WANI के तहत आने वाले वाई-फाई सेवा स्थलों की स्थापना, रखरखाव और संचालन करने का कार्य करेगा। साथ ही, उपभोक्ताओं को ब्रॉडबैंड सेवा भी प्रदान करेगा।
  • पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर (PDOA): यह पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के प्रमाणीकरण और लेखा खातों के रखरखाव का कार्य करेगा।
  • ऐप प्रदाताः यह पंजीकृत ग्राहकों के लिए मोबाइल ऐप विकसित करेगा। इसके अतिरिक्त, PM-WANI सेवा की उपलब्धता का पता लगाने के उपरांत मोबाइल ऐप में वह जानकारी डालेगा।
  • सेंट्रल रजिस्ट्रीः इसका रखरखाव आरंभिक स्तर पर दूरसंचार विभाग (c-DoT) करेगा। यह ऐप सेवा प्रदाताओं, PDOS और PDOAS की जानकारी भी रखेगा।

वाईफाई (Wi-Fi) के बारे में

  • Wi-Fi या वायरलेस फिडेलिटी, एक वायरलेस नेटवर्किंग तकनीक है। यह डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, स्मार्ट टीवी आदि जैसे उपकरणों को इंटरनेट एक्सेस प्रदान करती है।
  • यह अलग-अलग उपकरणों के बीच संचार स्थापित करने के लिए 4GHz से 5GHz आवृत्ति बैंड में रेडियो फ्रीक्वेंसी, या रेडियो वेव्स का उपयोग करता है।

सार्वजनिक वाईफाई: ये हवाई अड्डों, कॉफी शॉप्स, होटलों आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध वाई-फाई हॉटस्पॉट हैं। इसमें निःशुल्क  इंटरनेट का उपयोग किया जाता है।

सार्वजनिक वाईफाई से जुड़े खतरेः

  • व्यक्तिगत जानकारी चुराई जा सकती है, मैन-इन-द-मिडिल अटैक (उपयोगकर्ता और डिवाइस के बीच किसी अन्य का प्रवेश) का खतरा रहता है,
  • मैलवेयर डिस्ट्रीब्यूशन का खतरा बना रहता है,
  • दुर्भावनापूर्ण हॉटस्पॉट उपलब्ध कराने वाले स्रोत की मौजूदगी का खतरा भी रहता है आदि।

स्रोत द हिन्दू

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