प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के अंतर्गत अब तक 75 करोड़ पात्र लाभार्थियों कोमातृत्व लाभ दिया गया है।

इसके साथ ही नई दिल्‍ली में आयोजित समारोह में राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों और जिलों को सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) पुरस्‍कार दिए।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना:

  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एक मातृत्व लाभ की योजना है जिसका आरम्भ2010 में इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना के नाम से हुआ था। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के नाम से दोबारा इस योजना की घोषणा 31 दिसंबर, 2016 को की गई थी।इस योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार देश के सभी जिलों में लागू किया गया है।
  • इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को, कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद, तीन किश्तों में पहले बच्चे के जन्म पर 5,000 रूपये की राशि प्रदान की जाती है।
  • इस राशि से बच्चा होने और उसकी देखभाल करने के कारण दिहाड़ी की क्षति का सामना करने वाली महिला को आंशिक क्षतिपूर्ति दी जाती है और साथ ही इससे सुरक्षित प्रसव और उत्तम पोषण का प्रबंध किया जाता है।
  • अपवाद:जो महिलाएँ केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में काम करती हैं अथवा जिन्हें इसी प्रकार का लाभ पहले से मिल रहा है, उनको इस योजना कालाभ नहीं मिलेगा।
  • वित्त पोषण:यह एक केंद्र संपोषित योजना है जिसमें केंद्र और राज्य की लागत60:40 होती है। पूर्वोत्तर राज्यों में और तीन हिमालयवर्ती राज्यों में यह अनुपात 90:10 है। जिन केंद्र शासित क्षेत्रों में विधान सभा नहीं है, वहाँ इस योजना के लिए केन्द्रीय योगदान 100% होता है।

चुनौतियाँ:

  • तीन वर्ष पूरे हो जाने के पश्चात् भी यह योजना वास्तविक रूप से सार्वभौम नहीं बन पाई है।
  • अशिक्षित लोगों को इससे सम्बंधित लम्बे-लम्बे कागजात पूरे करने में समस्या हो रही है।
  • आवेदन की प्रक्रिया में स्त्रियों को रिश्वत देना पड़ता है।

महत्त्व:

  • भारत में आज भी महिलाओं में कुपोषण की समस्या है।देश में हर तीसरी महिला कुपोषित है और हर दूसरी महिला में रक्ताल्पता की शिकायत है। कुपोषित महिला से जन्मे बच्चे का भार भी कम होता है। जब बच्चा पेट में है, उसी समय से पोषाहार मिले तो इसका लाभ बच्चे को जीवन-भर के लिए मिल जाता है। यह योजना इसी समस्या को केंद्र में रखकर पोषाहार पर विशेष बल देती है।

स्रोत – पीआईबी

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