हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization: WHO) ने विश्व के प्रथम मलेरिया रोधी टीके की अनुशंसा की है।
WHO ने RTS,S/ASOI (RTS,S) या मोस्कुइरिक्स(Mosquirix) नामक प्रथम मलेरिया रोधी टीके के व्यापक उपयोग की अनुशंसा की है। यह टीका उप-सहारा अफ्रीका में तथा मध्यम से उच्च प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया संचरण वाले अन्य क्षेत्रों में बच्चों को दिया जाएगा।
ध्यातव्य है कि प्रतिवर्ष पांच वर्ष से कम आयु के 2,80,000 से अधिक अफ्रीकी बच्चों की मलेरिया के कारण मृत्यु हो जाती है।
मलेरिया रोग परजीवी के कारण होता है। यह संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में प्रसारित होता है।
इनमें से 2 प्रजातियां – प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम वाइवैक्स सर्वाधिक खतरा उत्पन्न करती हैं।
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020 (WHO द्वारा प्रकाशित) के अनुसार, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया संक्रमण के मामलों में सर्वाधिक कमी दर्ज की है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2000 में भारत में मलेरिया के 20 मिलियन मामले थे, जो वर्ष 2019 में घटकर लगभग 5.6 मिलियन ही रह गए थे।
हालांकि, वर्ष 2019 में दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया के 88% मामले और मलेरिया से होने वाली 86% मृत्यु भारत में हुई है।
WHO की एक रिपोर्ट में त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में उच्च मलेरियारोधी दवा प्रतिरोध का भी उल्लेख किया गया है।
भारत में मलेरिया उन्मूलन हेतु आरंभ की गई पहलें
- वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लिए एक रणनीति को रेखांकित करते हुए नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन इन इंडिया 2016-2030° को अपनाया गया है।
- मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-22 इत्यादि।
स्रोत – द हिन्दू