प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 को लोक सभा की मंजूरी
प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 को लोक सभा की मंजूरी प्राप्त हुई । इसे प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिए प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 निम्नलिखित पर केंद्रित है:
यह बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है और उसे बनाए रखता है;
यह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है; तथा बाजार सहभागियों के लिए व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है ।
इस अधिनियम के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को रोकने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की स्थापना की गई है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
विलय और अधिग्रहण को विनियमित करने के लिए एक अन्य मानदंड के रूप में ‘लेन-देन के मूल्य’ को शामिल किया जाएगा ।
यदि लेन-देन का मूल्य 2,000 करोड़ रुपये से अधिक तो CCI की मंजूरी आवश्यक होगी। इससे डिजिटल बाजारों (बिग टेक फर्मों) में होने वाले अधिग्रहण को इस कानून के तहत लाने में मदद मिलेगी ।
ऐसे लेन-देन पर CCI द्वारा निर्णय लेने की समय सीमा को भी 210 दिनों से घटाकर 150 दिन करने का प्रावधान किया गया है।
संशोधन में उन उद्यमों को भी कानून के अधीन लाया गया है, जिन्हें प्रतिस्पर्धा-रोधी समझौतों का हिस्सा माना जा सकता है। इसमें ऐसे उद्यम या व्यक्ति भी शामिल हैं, जो समान व्यवसाय में संलग्न नहीं हैं।
प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौतों और प्रभुत्ववादी स्थिति के दुरुपयोग की जांच के शीघ्र समाधान के लिए एक समझौता एवं प्रतिबद्धता फ्रेमवर्क का निर्माण किया जाएगा।
यह इस पर CCI में सूचना दाखिल करने की समय सीमा को तीन साल तक सीमित करता है।
मुकदमों को कम करने के लिए निपटान और प्रतिबद्धता फ्रेमवर्क की शुरुआत करने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक कुछ अपराधों के लिए दंड की प्रकृति में परिवर्तन करता है। यह कैद की सजा को जुर्माने में बदलता है।
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI):
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एक सांविधिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के उद्देश्यों को लागू करने के लिये उत्तरदायी है। इसका विधिवत गठन मार्च 2009 में किया गया था।
राघवन समिति की सिफारिशों के आधार पर एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम (MRTP Act), 1969 को निरस्त कर इसे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू