प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023

प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023

हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023 के कई प्रावधानों को अधिसूचित किया है।

  • इस संशोधन अधिनियम के माध्यम से प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन किए गए हैं। इन संशोधनों के मुख्य उद्देश्य प्रतिस्पर्धी विरोधी प्रथाओं पर बेहतर तरीके से अंकुश लगाने के लिए विनियामक संबंधी स्थिरता सुनिश्चित करना और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को सशक्त करना है ।

अधिसूचित किए गए प्रमुख प्रावधान

  • हब एंड स्पोक व्यवस्था: ऐसी कंपनियां, जो एक जैसी या समान व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल नहीं हैं, उन्हें भी किसी प्रतिस्पर्धा-रोधी समझौते के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है ।
  • विलय और अधिग्रहण (M&A) : यदि विलय और अधिग्रहण में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि शामिल है तथा लक्षित कंपनी का भारत में पर्याप्त व्यावसायिक कारोबार है, तो कंपनियों को ऐसे किसी भी विलय और अधिग्रहण के बारे में CCI को सूचित करना होगा ।
  • अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किसी भी आचरण/कार्य के बारे में रिपोर्ट दर्ज करने की समय सीमा को अब उसके घटित होने की तारीख से तीन साल तक कर दिया गया है। पहले इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी ।
  • हालांकि, CCI इस मामले में किसी प्रकार का विलंब होने पर समय-सीमा में छूट देने के लिए स्वतंत्र है।
  • CCI की अन्वेषण शाखा के महानिदेशक अब न केवल अधिनियम का उल्लंघन करने वाले पक्षकारों की जांच कर सकते हैं, बल्कि उनके एजेंट्स की भी जांच कर सकते हैं। एजेंट्स में बैंकर, कानूनी सलाहकार और लेखा परीक्षक शामिल हैं।
  • नियम बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए CCI लोक सुझाव आमंत्रित करने हेतु नियमों का मसौदा प्रकाशित करेगा ।
  • गलत सूचना देने/चूक के लिए जुर्माना 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है ।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के बारे में

CCI की स्थापना 2009 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत की गई थी। इसे कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के तहत गठित किया गया है। इसका गठन प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिए किया गया है।

CCI की स्थापना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली कार्यप्रणालियों को समाप्त करना,
  • प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उसे बनाए रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना,
  • व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आदि ।

स्रोत – द हिन्दू

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