प्रकाश से तेज होने का भ्रम की समस्या
हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा देखा है जो सुपरनोवा जैसी घटना में प्रकाश की गति से 7 गुना तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
विदित हो कि वर्ष 2017 में, लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ने बाइनरी न्यूट्रॉन तारे के विलय और इससे एक तीसरे पिंड (संभवतः एक ब्लैक होल) के निर्माण के संकेत को दर्ज किया था।
- इसने, एक असामान्य आयनित पदार्थों के एक पुंज प्रवाह (जेट ऑफ मैटर) को भी दर्ज किया था। इससे प्रकाश से भी तेज गति से गमन का भ्रम पैदा हुआ था। इस तरह की परिघटना को सुपरल्यूमिनल गति कहा जाता है।
- इस नए अध्ययन के अनुसार, आयनित पदार्थों के एक पुंज प्रवाह की वास्तविक गति प्रकाश की गति की 97% थी।
- कोई दूर का पिंड प्रकाश की गति से तेज चलता हुआ प्रतीत हो सकता है, बशर्ते कि उसमें हमारी ओर गति के कुछ घटक हों। साथ ही, वह लाइन ऑफ़ साइट के लंबवत भी हो।
- यह अध्ययन इस परिकल्पना को भी बल प्रदान करता है कि ऐसे न्यूट्रॉन तारों का विलय गामा किरणों के प्रस्फुटन (gamma & ray bursts: GRBs) के लिए जिम्मेदार होता है।
- GRB, गामा-विकिरण प्रकाश के अल्पकालिक विस्फोट हैं। यह प्रकाश का सबसे ऊर्जावान रूप है। ये केवल कुछ मिलीसेकंड से लेकर कई मिनट तक अस्तित्व में रहते हैं।
- इस अध्ययन में लोरेंत्ज़ फैक्टर को सही ढंग से मापने के लिए ग्लोबल एस्ट्रोमेट्रिक इंटरफेरोमीटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स (GAIA) अंतरिक्ष यान आदि का इस्तेमाल किया गया था।
- लोरेंत्ज़ फैक्टर को रिलेटिविस्टिक (सापेक्षवादी) फैक्टर के रूप में भी जाना जाता है। यह विशेष सापेक्षता का एक मूलभूत घटक है। यह इस तथ्य को मापता है कि अंतरिक्ष के माध्यम से किसी पिंड के वेग से भौतिक मात्रा में कितना परिवर्तन होता है।
ब्लैक होल:
ब्लैक होल एक ऐसा खगोलीय पिंड है, जहां गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इतना मजबूत होता है कि प्रकाश भी इससे बच नहीं पाता है।
इनका निर्माण निम्नलिखित तरीकों से होता है:
- जब एक विशाल तारे का कोर स्वतः नष्ट हो जाता है।
- आकाशगंगा के निर्माण के समय संभवतः विभिन्न ब्लैक होल्स के विलय से भी इसका निर्माण होता है।
- बिग बैंग के तुरंत बाद या इसके बाद के संक्रमणों में इसका निर्माण होता है।
- न्यूट्रॉन तारों के विलय से भी ब्लैक होल बनते हैं। न्यूट्रॉन तारे तब बनते हैं, जब एक विशाल तारे का ऊर्जा स्त्रोत समाप्त हो जाता है और वह नष्ट हो जाता है।
GAIA यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का एक मिशन है। इसका लक्ष्य मिल्की वे आकाशगंगा के लगभग एक अरब तारों का सर्वेक्षण करना है।
इस सर्वेक्षण के माध्यम से आकाशगंगा का सबसे बड़ा और सबसे सटीक त्रि-आयामी मानचित्र बनाया जाएगा।
स्रोत – द हिन्दू