प्रकाश प्रदूषण का बढ़ता स्तर
हाल ही में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि, प्रकाश प्रदूषण के कारण अगले दो दशकों में हमारे लिए आकाश में सितारे देखना भी संभव नहीं हो पायेगा।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकाश प्रदूषण के बढ़ने से रात में आकाश प्रति वर्ष लगभग 10% की दर से अधिक प्रकाशित होता जा रहा है।
- प्रकाश प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। विशेष रूप से 2016 के बाद से इसमें और अधिक तेजी आई है, जब खगोलविदों ने बताया कि दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी मिल्की वे को नहीं देख पा रही है।
- ऐसा कृत्रिम प्रकाश (आमतौर पर घरों से बाहर ) जो अत्यधिक हो, गलत दिशा में हो, या बाधा उत्पन्न करने वाला हो, प्रकाश प्रदूषण (Light or Photo pollution) कहलाता है।
प्रकाश प्रदूषण के निम्नलिखित घटक हैं:
- तीव्र प्रकाश (Glare ): अत्यधिक चमक जो देखने में असुविधा पैदा करे ।
- आकाशीय चमक (Skyglow): आबाद क्षेत्रों में रात्रि में आकाश का चमकना ।
- प्रकाश का अनुचित उपयोग (Light trespass): वैसी जगहों पर प्रकाश का उपयोग जहां इसकी आवश्यकता नहीं है अथवा जहाँ यह दूसरों के लिए असुविधा उत्पन्न करता है।
- प्रकाशीय अव्यवस्था (Clutter): जब किसी एक ही स्थान पर एक साथ कई चमकदार और भ्रमित करने वाली लाइटें लगी होती हैं, तो उसे क्लटर कहा जाता है।
प्रकाश प्रदूषण के प्रभाव–
- विशेष रूप से मनुष्यों और उसके प्राकृतिक शारीरिक चक्रों यानी सरकेडेयन रिदम (Circadian rhythms) पर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव डालता है।
- सरकेडियन रिदम शारीरिक, मानसिक और व्यवहार में परिवर्तन हैं, जो 24 घंटे के चक्र का पालन करते हैं।
- इसके कारण खगोलीय अनुसंधान में बाधा आती है।
- यह निशाचर वन्य जीवों, विशेष रूप से पक्षियों के प्रवास करने और शिकार करने में रुकावट पैदा करती है
- यह ओलिव रिडले समुद्री कछुओं जैसे स्थलीय जीवों में दिशा-भ्रम पैदा करता है।
प्रकाश प्रदूषण को रोकने के उपाय:
- प्रकाश की चमक को कम किया जा सकता है;
- नीले – सफेद रंग के प्रकाश का कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए;
- यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रकाश में लाल और नारंगी रंग के घटक अधिक हों;
- मोशन सेंसर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि जब जरूरत हो (कोई गतिविधि हो) तब ही लाइट ऑन हो सके आदि ।
स्रोत – स्पेस.कॉम