हाल ही में पोषण अभियान (POSHAN) के लिए आवंटित राशि का कम उपयोग किया गया ।
शिक्षा, महिला, बाल, युवा कार्यक्रम और खेल संबंधी स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में पोषण अभियान (समग्र पोषण के लिए प्रधान मंत्री की व्यापक योजना) की कुल निधियों के कम उपयोग एवं जमीनी परिणामों के आधार पर अप्रभावी होने के मुद्दे पर प्रकाश डाला है।
केंद्रीय निधियों से पोषण अभियान के लिए जारी की गई कुल निधि का केवल 56 प्रतिशत ही उपयोग किया गया है।
साथ ही, किसी भी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र ने पोषण अभियान के लिए अपनी निधियों का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है।
मुख्य सिफारिशें
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात के निकट बनाए गए राष्ट्रीय पोषण पार्क की तर्ज पर देश भर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भागीदारी से राष्ट्रीय पोषण पार्क का निर्माण किया जाए।
- स्वास्थ्य और पोषण के लिए आयुर्वेदिक पौधों के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
- देश के अधिकतम कुपोषण आबादी वाले जिलों की पहचान करना और ‘कुपोषण उन्मूलन प्राधिकरण कीस्थापना करनी चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भोजन के पैकेट सुनिश्चित करने हेतु एक सतर्क निगरानी तंत्र स्थापित करना चाहिए। साथ ही, अति कुपोषित बच्चों के लिए लक्षित भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए।
- नए पोषण (POSHAN) ट्रैकर एप्लिकेशन का प्रभावी कार्यान्वयन करना चाहिए।
- विभिन्न मंत्रालयों द्वारा सक्रिय भागीदारी और सम्मिलित कार्रवाई के साथ पोषण अभियान को युद्ध स्तर पर चलाया जाना चाहिए।
पोषण अभियान के बारे में
- पोषण अभियान या राष्ट्रीय पोषण मिशन, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने हेतु भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है।
- अभियान का लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण व एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के मध्य) को कम करना और जन्म के समय अल्प वजन की समस्याको क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रति वर्ष कम करना है।
- इसमें वर्ष 2022 तक 0-6 आयु वर्ग के बच्चों में ठिगनेपन को 4% से 25% तक कम करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
- पोषण 0 के तहत, सहक्रियाओं का दोहन करने के लिए कई संबंधित योजनाओं को इसमें शामिल कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त, कुपोषण हॉटस्पॉट की पहचान कीजा रही है और 112 आकांक्षी जिलों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जा रहा है।
स्रोत – द हिंदू