पोखरण – II की 25वीं वर्षगांठ
हाल ही में पोखरण – II की 25वीं वर्षगांठ मनाई गई है । विदित हो कि मई 1998 में भारत ने भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में पांच परमाणु बमों का परीक्षण किया था। इस परीक्षण को पोखरण -2 नाम दिया गया था। इसे “ऑपरेशन शक्ति” भी कहा जाता है ।
यह दूसरा भारतीय परमाणु परीक्षण था। पहला परीक्षण वर्ष 1974 में किया गया था । इसका कोड नेम “स्माइलिंग बुद्धा” था।
परमाणु परीक्षण की आवश्यकता क्यों थी?
- सोवियत संघ के पतन के बाद 1990 के दशक की शुरुआत में प्रतिकूल सुरक्षा परिवेश बन गया था ।
- परमाणु हथियार संपन्न देश व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) और साथ ही परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक समयबद्ध ढांचे को स्वीकार करने में विफल हो गए थे।
- भारत के कुछ पड़ोसी शत्रुतापूर्ण व्यवहार रखते हैं।
- भारत के विकास के लिए परमाणु शक्ति और ऊर्जा स्रोत का भी उपयोग करना था ।
परमाणु परीक्षण का प्रभाव –
- इन परीक्षणों ने भारत को एक विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक (Credible nuclear deterrence) स्थापित करने तथा पश्चिमी देशों द्वारा न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग का सामना करने में सक्षम बनाया ।
- इसने परमाणु हथियारों के विकास में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की नींव रखी।
- पोखरण-I से भारत की भू-राजनीतिक प्रतिष्ठा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था। इस परीक्षण ने दक्षिण एशिया और दुनिया में एक रणनीतिक भूमिका निभाने वाले देश के रूप में भारत की छवि को बेहतर बनाया था।
- इन परमाणु परीक्षणों से भारत के परमाणु सिद्धांत का विकास हुआ। इस सिद्धांत ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल एवं परमाणु मुद्दों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया ।
भारत के परमाणु सिद्धांत
- एक विश्वसनीय न्यूनतम परमाणु प्रतिरोधक का निर्माण करना और उसे बनाए रखना ।
- परमाणु हथियारों के उपयोग के मामले में ‘नो फ़र्स्ट यूज़’ की नीति का पालन करना ।
- परमाणु हथियार नहीं रखने वाले देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करना ।
- परमाणु और मिसाइल से संबंधित सामग्रियों एवं प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर सख्त नियंत्रण बनाए रखा जाएगा ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस